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गणेश चतुर्थी 2018: (फोटो-ANI)
13 सितंबर से गणपति बप्पा हर घर में पधारने आ रहे है, जो पूरे दस दिन अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाएंगे। गणेश चतुर्थी को लेकर पूरे देश तैयारियां जोरों पर है। भूवनेश्वर में भी मूर्तिकारों ने गजानन जी की मूर्ति को अंतिम रूप दिया। गणेश चतुर्थी का यह त्योहार भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है लेकिन महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा धूमधाम से मनाया जाता है।
गणेश चतुर्थी पर एक ओर जहां पंडालों में उनकी बड़ी-बड़ी प्रतिमा की स्थापना करते है वहीं दूसरी ओर भक्त अपने घरों में भी गणेश जी को विराजमान करते है।
Bhubaneswar: Preparations underway for Ganesh Chaturthi festival; idols of Lord Ganesha being created by artisans. #Odishapic.twitter.com/WrNUDvaHBY
— ANI (@ANI) September 8, 2018
इसके बाद 10वें दिन पूरे गाजे-बाजे के साथ भक्त उन्हें नदी या तालाब में विसर्जित करते है। माना जाता है कि गणेश जी पूरे दस दिन अपने माता-पिता से दूर रहते है और फिर वह दस दिन बाद उनके पास लौट जाते है।
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गणेश जी को 'बुद्धि' के देव भी कहते है साथ ही उन्हें सभी देवों से पहले पूजने के साथ ही हर शुरुआती काम में पूजने की भी मान्यता प्रचलित है। गणेश जी का सबसे पसंदीदा भोग 'बूंदी के लड्डू' और 'मोदक' है लेकिन सबसे ज्यादा उन्हें 'मोदक' भाता है इसलिए उन्हें ' मोदक प्रिय' भी कहा जाता है।
तो इसबार आप भी जब उन्हें अपने घर में लाये तो उससे पहले 'मोदक' का प्रसाद बनाना न भूलें हालांकि आजकल बाज़ारों में भी अब अलग-अलग तरीकों के मोदक मौज़ूद है। मोदक का भोग और सच्ची भक्ति के साथ गणेश जी का स्वागत करिये और उनकी कृपा का पात्र बनिए और अपनी हर मनोकामना को पूर्ण कीजिए।
Source : News Nation Bureau