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Full Moon/Purnima 2020: इस दिन नजर आएगा पूरा चांद, जानें पूर्णिमा का धार्मिक महत्व

भारत में फुल मून को पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है.  मार्गशीर्ष के अनुसार, शुक्ल पूर्णिमा 29 दिसंबर को 07:54 बजे शुरू हुई है और 30 दिसंबर को 08:57 बजे समाप्त होगी. पूर्णिमा तिथि को देवत्‍व का दिन माना जाता है.

Updated on: 29 Dec 2020, 12:51 PM

नई दिल्ली:

साल 2020 का आखिर पूरा चांद (Full Moon) 29 और 30 दिसंबर को दिखाई देगा.  इसे देखने के लिए पूरी दुनिया उत्साहित रहती है. फुल मून को कोल्ड मून भी कहा जाता है. क्रिसमस के कुछ ही आने के कारण उत्‍तरी अमेरिका में इसे लॉन्‍ग नाइट्स मून भी कहते हैं. मिली जानकारी के मुताबिक, 30 दिसंबर 2020 को अंतरराष्‍ट्रीय समयानुसार रात में 3.39 बजे बजे अपने चरम पर होगा. भारत में यह नजारा 30 दिसंबर को सुबह करीब 9 बजे दिखाई देगा. यह कोल्‍ड मून एशिया, प्रशांत क्षेत्र, यूरोप और अफ्रीका में बुधवार को दिखेगा. वहीं दक्षिण अमेरिका, उत्‍तरी अमेरिका और कनाडा जैसे पश्चिमी गोलार्ध के देशों में यह 29 दिसंबर की रात दिखाई देगा. 

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वहीं बता दें कि भारत में फुल मून को पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है.  मार्गशीर्ष के अनुसार, शुक्ल पूर्णिमा 29 दिसंबर को शाम 07:55 बजे शुरू हुई है और 30 दिसंबर को 08:57 बजे समाप्त होगी. पूर्णिमा तिथि को देवत्‍व का दिन माना जाता है. महीना का सर्वश्रेष्‍ठ दिन पूर्णिमा को माना जाता है. पूर्णिमा के दिन श्री हरि यानी भगवान विष्‍णु या भगवान शिव की पूजा जरूर करें. पूर्णिमा के दिन ही चन्द्रमा को अमृत से सिंचित किया गया था, लिहाजा चन्द्रमा की भी अराधना इस दिन जरूर करें. 

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पूजा विधि-

इस दिन सबसे पहले किसी पवित्र नदी में स्नान करें. अगर ये संभव नहीं है तो घर में ही नाहने के पानी में गंगाजल डालें और फिर स्नान करें.  इसके बाद मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत करने का संकल्प लें. इस दिन भगवना सत्यनारायण की पूजा का भी विशेष महत्व है. भगवान विष्णु को आसन पर स्थापित करने के बाद गंध, पुष्प और भोग अर्पित करें. इसके बाद पूजा स्थल पर वेदी बनाएं और हवन-पूजन करें.

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन गरीबों और ब्राह्मण को भोजन करावाएं. इसके साथ ही जरूरतमंदों को  खानें पीने की चीजें और वस्त्रों को दान करें. इस व्रत में लहसन, प्याज और मादक वस्तुओं के इस्तेमाल से परहेज करें.