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Chanakya Niti : जब मुश्किल से घिरे हों तो लें चाणाक्य के इन 5 बातों का सहारा, हो जाएगी मुश्किल दूर

आज हम बात करेंगे कि जब कोई व्यक्ति घोर संकट से घिरा हो तो ऐसे समय में चाणक्य नीति के अनुसार उसे क्या करना चाहिए? ऐसे समय में व्यक्ति को समझ नहीं आता है कि क्या करना सही है और क्या गलत है. इसलिए व्यक्ति किसी निर्णय पर आसानी से नहीं पहुंच पाता.

Updated on: 03 Jul 2021, 11:00 AM

दिल्ली:

आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti) की अर्थनीति, कूटनीति और राजनीति विश्वविख्यात है, जो हर एक को प्रेरणा देने वाली है. चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु और सलाहकार आचार्य चाणक्य के बुद्धिमत्ता और नीतियों से ही नंद वंश को नष्ट कर मौर्य वंश की स्थापना की थी. आचार्य चाणक्य ने ही चंद्रगुप्त को अपनी नीतियों के बल पर एक साधारण बालक से शासक के रूप में स्थापित किया. अर्थशास्त्र के कुशाग्र होने के कारण इन्हें कौटिल्य कहा जाता था. आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र के जरिए जीवन से जुड़ी समस्याओं का समाधान बताया है.

आज हम बात करेंगे कि जब कोई व्यक्ति घोर संकट से घिरा हो तो ऐसे समय में चाणक्य नीति के अनुसार उसे क्या करना चाहिए? ऐसे समय में व्यक्ति को समझ नहीं आता है कि क्या करना सही है और क्या गलत है. इसलिए व्यक्ति किसी निर्णय पर आसानी से नहीं पहुंच पाता. कई बार इंसान गलत फैसले भी ले लेता है, जिससे खुद का ही बड़ा नुकसान हो जाता है. ऐसे समय के लिए आचार्य चाणक्य ने अपने ग्रंथ चाणक्य नीति में चर्चा की है. आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति में बताया है कि मुश्किल घड़ी आने पर व्यक्ति का व्यवहार कैसा होना चाहिए. उसे किन बातों का ध्यान रखना चाहिए. आचार्य की ये बातें लोगों को सही राह दिखा सकती हैं. 

सोच समझ कर लें फैसला
आचार्य चाणक्य के अनुसार जब संकट आता है तो चुनौतियां काफी बढ़ जाती हैं और अवसर बहुत कम होते हैं. इसलिए व्य​क्ति को अलर्ट होकर उन अवसरों पर नजर बनाकर रखनी चाहिए क्योंकि ऐसे समय में जरा-सी चूक आपका बहुत बड़ा नुकसान कर सकती है.

पहले से करके रखें तैयारी
आचार्य चाणक्य का कहना था कि यदि व्यक्ति संकट से उबरने के लिए कुछ तैयारियां पहले से करके रखें तो मुश्किल समय से आसानी से निकला जा सकता है. इसलिए हर शख्स को धन, अन्न आदि को संचय करके रखना चाहिए. बुरे वक्त में ये आपके लिए बहुत मददगार साबित होते हैं. धन को आचार्य चाणक्य ने सच्चा मित्र बताया है.

 परिवार के प्रति जिम्मेदारी
संकट के समय में आपका पहला कर्तव्य आपके परिवार के प्रति जिम्मेदारी है. इसलिए उनकी सुरक्षा का विशेष खयाल रखना चाहिए और उनका पूरा साथ निभाना चाहिए. यदि उन पर कोई मुसीबत आ जाए तो उस मुसीबत से उन्हें निकालने का प्रयास करना चाहिए.

 सेहत का पूरा खयाल
चाणक्य नीति के अनुसार आप कितने ही बड़े संकट में हों, लेकिन अपनी सेहत का पूरा खयाल रखें. यदि आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा तो आप हर परिस्थिति का मुकाबला आसानी से कर पाएंगे. आपका शरीर और मस्तिष्क दोनों ही बेहतर काम करेंगे.

ठोस रणनीति 
संकट काल में कोई भी निर्णय लेने से पहले एक बार उसके अच्छे और बुरे परिणामों के बारे में सोचें. इसके बाद ठोस रणनीति के साथ ही काम करें. जो व्यक्ति पूरी रणनीति के साथ आगे बढ़ता है, वो बड़ी आसानी से हर मुश्किल को पार कर लेता है.