Falgun Amavasya: हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास कृष्ण अमावस्या तिथि फरवरी 27 सुबह 08:54 ए एम से प्रारंभ हो रही है जो 28 फरवरी को सुबह 06:14 ए एम पर समाप्त होगी. फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को फाल्गुन अमावस्या भी कहा जाता है. हिंदू धर्म में इस अमावस्या का विशेष महत्व है. ये तिथि पितरों को समर्पित है, इसलिए इस दिन पितरों की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण किया जाता है. इस दिन दो शुभ योग बन रहे हैं. पहला शुभ योग शिवयोग है जो सुबह 11 बजकर 41 मिनट से शुरू होकर शाम तक रहेगा और उसके बाद दूसरा शुभ योग सिद्धि योग शुरू होगा जो अगले दिन अमावस्या के समय तक रहेगा. अगर आप इस दिन सही विधि से पूजा करते हैं तो उससे आपको पितृ दोष से राहत मिलती है.
फाल्गुन अमावस्या पूजा विधि
फाल्गुन अमावस्या तिथि के दि सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद पितरों का तर्पण करना चाहिए. उनके नाम से जल और अन्न निकालकर किसी मंदिर में या गरीबों को दान करें. भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें पीले फूल और फल अर्पित करें. गरीबों को भोजन और वस्त्र का दान करना भी इस दिन शुभ माना जाता है. शनिदेव की पूजा करें और उन्हें काले तिल और तेल अर्पित करें. कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए विशेष पूजा करें.
फाल्गुन अमावस्या के दिन क्या करें और क्या न करें
शास्त्रों में दिए गए नियमों के अनुसार, इस दिन पितरों का तर्पण और पिंडदान करना चाहिए, पवित्र नदियों में स्नान करना, गरीबों को दान करना शुभ माना जाता है. इसके अलावा, फाल्गुन अमावस्या के दिन किसी से झूठ न बोलें, ठेस न पहुंचाएं और क्रोध न करें. इस दिन खासतौर पर नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए.
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है और वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं. फाल्गुन अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है उन्हें इस दिन विशेष पूजा करनी चाहिए. शनिदेव की पूजा करने से भी शनि दोष से मुक्ति मिलती है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)