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Dusshera 2020: बुराई पर अच्‍छाई की जीत के पर्व दशहरा की मान्‍यता और इस दिन का महत्‍व जानें

बुराई पर अच्छाई की जीत वाला पर्व दशहरा (Dussehra) आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी (Dashami) तिथि को मनाया जाता है और इसके ठीक 20 दिन बाद दिवाली आती है. इस बार 25 अक्‍टूबर, रविवार को दशहरा मनाया जाएगा.

Updated on: 24 Oct 2020, 04:50 PM

नई दिल्ली:

बुराई पर अच्छाई की जीत वाला पर्व दशहरा (Dussehra) आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी (Dashami) तिथि को मनाया जाता है और इसके ठीक 20 दिन बाद दिवाली आती है. इस बार 25 अक्‍टूबर, रविवार को दशहरा मनाया जाएगा. भगवान राम ने इसी दिन लंकापति रावण का वध किया था और माता सीता को रावण के चंगुल से आजाद कराया था. चूंकि राम ने इसी दिन रावण पर विजय प्राप्‍त की थी, लिहाजा दशहरा को विजयादशमी (Vijayadashami) के रूप में भी जाना जाता है. हिंदुओं की मान्‍यता के अनुसार, इस दिन आयुध यानी शस्‍त्र पूजा भी की जाती है. कई मौकों पर पीएम नरेंद्र मोदी भी शस्‍त्र पूजा में शामिल होते रहे हैं. 

दशहरा के दिन शस्त्र पूजा करने की विधि

  • शस्त्र पूजन करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है. इस दिन घर के अस्त्र-शस्त्र को इकठ्ठा कर गंगाजल छिड़ककर उन्हें शुद्ध कर लें.
  • सभी शस्त्रों पर हल्दी-कुमकुम का टीका लगाएं और फूल इत्यादि आदि चढ़ाएं.
  • शस्‍त्र पूजा में शमी के पत्तों को प्रयोग अवश्‍य किया जाना चाहिए.
  • दशहरा के दिन नया वाहन खरीदना बहुत शुभ माना जाता है.

क्‍यों खास होता है दशहरा

दशहरे के दिन देश में कई जगहों पर ऐतिहासिक राम लीला का आयोजन किया जाता है. रामलीला में कलाकार रामायण के पात्र बनते हैं और राम-रावण के युद्ध को प्रस्तुत करते हैं. दस सिर वाले रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले जलाए जाते हैं. अंत में इन पुतलों को जला दिया जाता है. कई जगहों पर इस दिन मेले का आयोजन किया जाता है.

दशहरा का महत्व

दशमी तिथि को ही भगवान राम ने रावण का वध किया था, लिहाजा इस दिन को बुराई पर अच्‍छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है. आज के दौर में समाज में कई तरह की बुलाई फैली हुई है. झूठ, छल, कपट, धोखेबाजी, करप्शन, भ्रष्टाचार, हिंसा, भेद-भाव, द्वेष, यौन शोषण. कई जगहों पर प्रतीकस्‍वरूप रावण के साथ इनका भी पुतला बनाकर जलाया जाता है, इस उम्‍मीद में कि समाज से इन बुराइयों का नाश हो सके.