Dussehra 2023: रावण को मारने के लिए प्रभु श्रीराम ने कितने तीर चलाए थे, क्या आप जानते हैं?

Dussehra 2023: 24 अक्टूबर 2023 को दशहरा का पर्व है. इस दिन श्रीराम ने रावण का वध कर विजय प्राप्त की थी. क्या आप जानते हैं श्रीराम ने रावण को मारने के लिए कितने तीर चलाए थे?

Dussehra 2023: 24 अक्टूबर 2023 को दशहरा का पर्व है. इस दिन श्रीराम ने रावण का वध कर विजय प्राप्त की थी. क्या आप जानते हैं श्रीराम ने रावण को मारने के लिए कितने तीर चलाए थे?

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Sushma Pandey
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Dussehra 2023

Dussehra 2023( Photo Credit : Social Media)

Dussehra 2023: पंचांग के अनुसार अश्विन मास के शुक्ल पक्ष को दशहरा यानी विजयदशमी का पर्व मनाया जाता है. इस साल दशहरा का त्योहार 24 अक्टूबर दिन मंगलवार को मनाया जाएगा. बुराई पर अच्छाई की जीत का यह पर्व हर साल देश में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दशहरे के दिन ही प्रभु श्रीराम ने रावण का वध करके विजय हासिल की थी. वैसे रावण का मारना इतना आसान नहीं था इन्हें मारने के लिए श्री राम को विभीषण तक की मदद लेनी पड़ी थी. यूं तो रामायण को हर किसी ने देखा होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि रावण को मारने के लिए प्रभु श्रीराम ने कितने तीर चलाए थे? अगर नहीं तो आइए जानते हैं साथ ही हम आपको बताएंगे कि राम के पास जो धनुष था उसका नाम क्या था. 

कितने तीर से प्रभु श्रीराम में रावण को मारा था?

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 दशहरा के दिन श्रीराम ने रावण का वध किया था. शायद ही कुछ लोगों को पता होगा कि रावण को मारने के लिए प्रभु श्रीराम ने कितने तीर चलाए थे. दरअसल श्रीरामचरित मानस के अनुसार श्रीराम ने रावण को मारने के लिए 31 बाण चलाए थे जिसमें 1 बाण रावण की नाभि पर लगा, 10 रावण की सिर पर और 20 हाथ और धड़ पर. बता दें कि रावण को मारने के लिए राम ने दिव्यास्त्र का इस्तेमाल किया गया था.  

 प्रभु श्रीराम के धनुष का क्या नाम था?

भगवान राम के धनुष का नाम कोदंड था. यही वजह है कि प्रभु श्रीराम को कोदंड भी कहा जाता था. बता दें कि कोदंड का अर्थ बांस से बना हुआ होता है. यह एक चमत्कारिक धनुष था जिसे हर कोई धारण नहीं कर सकता था. 

दशहरा का महत्व

हर साल पूरे देश में दशहरा बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इसी दिन प्रभु श्रीराम ने रावण का वध किया था. रामायण के अनुसार, प्रभु राम और रावण के बीच भंयकर युद्ध हुआ था जिसके बाद भगवान राम ने युद्ध में सफलता हासिल की. यही वजह की तब से लेकर आज तक हर वर्ष दशहरा का पर्व मनाया जाता है. कुछ मान्यताओं के अनुसार यह युद्ध 84 दिनों तक चला था, वहीं कुछ  मान्यताओं के अनुसार यह युद्ध 8 दिनों तक चला था. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।) 

Source : News Nation Bureau

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