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Dussehra 2023: ये ब्राह्मण हैं रावण के वंशज, जानें भारत में कहां रहते हैं ये

Dussehra 2023: रावण के वंशज भारत में रहते हैं. ये तो सब जानते हैं कि रावण ब्राह्मण था तो उसके वंशज यानि रावण समुदाय के ब्राह्मण कौन हैं और ये भारत में कहां रहते हैं आइए जानते हैं.

Updated on: 20 Oct 2023, 02:00 PM

नई दिल्ली :

Dussehra 2023: भारत में ब्राह्मण समुदाय के बहुत लोग हैं. इसी समुदाय में कुछ ऐसे भी ब्राह्मण हैं जो रावण के वंशज हैं. ये पूजा-पाठ करने वाले ब्राह्मण ही हैं लेकिन ये भगवान श्रीराम की नहीं बल्कि लंकापति रावण की भगवान रूप में पूजा करते हैं इतना ही नहीं इन ब्राह्मणों ने रावण के मंदिरों का भारत में निर्माण भी किया है. देशभर में दशहरे के दिन जहां सभी लोग रावण का पुतला फूंकते हैं वहीं इस समुदाय के लोग शोक मनाते हैं और भगवान शिव के साथ  रावण की विशेष पूजा करते हैं. तो आइए जानते हैं रावण के वंशज ब्राह्मण कौन हैं और ये भारत में कहां रहते हैं. 

रावण वंश के ब्राह्मणों की पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण मंदोदरी से विवाह करने के लिए मंडोर आए थे. यहां उनके साथ कई ब्राह्मण भी बारात में आए थे. विवाह के बाद रावण तो लंका लौट गए लेकिन उनके समुदाय के ये ब्रह्मण यहीं रह गए. तब से ये गोधा गोत्र के जो श्रीमाली ब्राह्मण यहां रह गए वो यहां  रावण की पूजा करते हैं. मान्यता है कि ये ब्राह्मण रावण दहन नहीं देखते और दशहरे के दिन ये शोक मनाते हैं. इतना हीं पितृपक्ष के दौरान दशमी तिथि को ये ब्राह्मण रावण का श्राद्ध कर्म भी करते हैं. 

रावण वंश के ब्राह्मण 

भारत में गोदा गौत्र के श्रीमाली ब्राह्मण और मौदगिल ब्राह्मणों को रावण का वंशज माना जाता है. जोधपुर में इस गौत्र के 100 से अधिक और फलोदी में 60 से अधिक परिवार रहते हैं. रावण के मंदिर में भारत के अलग-अलग राज्यों में स्थित हैं जहां उनकी पूजा की जाती है. रावण के आराध्य भगवान शिव की मुर्ति भी इन मंदिरों में स्थापित है. इसके अलावा सारस्वत समाज के ब्राह्मण भी खुद को रावण वंश मानते हैं और इस बात का दावा करते हैं. 

रावण पर अपना हक जताने वाले ब्राह्मणों की भारत में कमी नहीं है बल्कि इनमें होड़ लगी हुई है. रावण एक ज्ञानी ब्राह्मण था. अगर उससे सीता मईया के हरण की भूल ना हुई होती तो वो आज सभी जगह जरूर पूजा जाता. 

दशहरा आने वाला है 24 अक्टूबर 2023 को इस बार भारत में धूमधाम से रावण दहन होगा लेकिन इस दिन रावण दहन के बाद रावण समुदाय के ब्राह्मण स्नान करें. अपनों के निधन के बाद जिस तरह स्नान कर यज्ञोपवीत बदला जाता है, उसी प्रकार रावण के वंशज दहन के बाद शोक के रूप में लोकाचार स्नान कर कपड़े बदलते हैं. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)