दशहरा और महानवमी के अवसर पर जानें भगवान राम और माता सीता के रिश्ते से जुड़ी ये खास बातें
Dussehra 2022 Puaranik Mahatva: भगवान विष्णु के सातवें अवतार प्रभु श्रीराम और माता सीता का रिश्ता युगों युगों तक याद किया जाएगा. प्रभु श्रीराम की एक ही पत्नी और रानी थीं, वह माता सीता थीं. वहीं माता सीता की पवित्रता, उनके आदर्श पत्नी होने के कई उदाहर
नई दिल्ली:
Dussehra 2022 Puaranik Mahatva: भगवान विष्णु के सातवें अवतार प्रभु श्रीराम और माता सीता का रिश्ता युगों युगों तक याद किया जाएगा. प्रभु श्रीराम की एक ही पत्नी और रानी थीं, वह माता सीता थीं. वहीं माता सीता की पवित्रता, उनके आदर्श पत्नी होने के कई उदाहरण राम चरित मानस में देखने को मिलता है. माता सीता एक राजकुमारी थीं, लेकिन अपने पति श्रीराम के वनवास जाने पर वह उनके साथ 14 साल तक जंगलों में रहने को तैयार हो गईं. सारी पीड़ा उठाई लेकिन पति का हर पग पर साथ दिया. भगवान राम ने भी पत्नी सीता के हरण के बाद उन्हें तलाशने के लिए लंका पर आक्रमण कर दिया। उनके पास सेना नहीं थी और न ही कोई राजपाठ था लेकिन उन्होंने सीता मां को रावण से बचाने के लिए वनवास के दौरान ही अपनी सेना बनाई. रावण से युद्ध के बाद सीता माता ने अग्नि परीक्षा देकर अपनी पवित्रता साबित की, तो वहीं अयोध्या वापसी के बाद जब राम और सीता फिर अलग हुए तो भी उनका एक दूसरे के प्रति प्रेम कम न हुआ. माता सीता कुटिया में रहने चली गईं, तो राम जी महल में ही सभी सुख सुविधाओं से अलग बिना दूसरा विवाह किए माता सीता के वियोग में रहने लगे. इसी कारण अक्सर लोग कहते हैं कि जोड़ी हो तो राम सीता जैसी. अगर आप भी राम सीता की तरह एक आदर्श पति पत्नी की तरह रहना चाहते हैं तो उनके रिश्ते से ये पांच गुणकारी बातें सीखें.
- हर परिस्थिति में दें एक दूसरे का साथ
हर पति-पत्नी को राम और सीता के रिश्ते से एक सीख जरूर लेनी चाहिए, वह है हर परिस्थिति में एक दूसरे का साथ देना. वनवास होने पर माता सीता ने राम जी का साथ दिया, तो रावण द्वारा हरण होने के बाद भी श्री राम माता सीता को वापस लाने के लिए डटे रहे. विपरीत परिस्थितियों में भी उन्होंने एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ा. बुरी से बुरी परिस्थिति में भी दोनों ने एक दूसरे पर विश्वास बनाए रखा.
- रिश्ते के बीच न आए पैसा और पद
प्रेम पद और पैसों से परे हैं. माता सीता के स्वयंवर में बड़े बड़े महारथी, राजा, महाराजा शामिल हुए लेकिन सीता माता का विवाह श्री राम से हुआ, जो कि अपने गुरु के साथ वहां पहुंचे थे. एक बालक जो राजा भी नहीं बना था और राजकुमार के वेश में भी नहीं था. फिर भी माता सीता ने उन्हें अपने पति के रूप में स्वीकार किया. वहीं जब राम को वनवास हुआ और उन्हें सारा राजपाट छोड़ना था, तब भी माता सीता ने पति के पद और पैसों के बारे में तनिक न सोचा और सारी सुख सुविधाएं छोड़कर श्रीराम के साथ वनवास चली आईं.
- पतिव्रता और पत्नीव्रता
माता सीता ने जीवन भर पतिव्रता होने का धर्म निभाया. रावण द्वारा हरण के बाद भी माता सीता ने अपनी इज्जत पर आंच न आने दी और अंत तक रावण के सामने न झुकीं. दूर रहने के बाद भी माता सीता ने अपने पत्नी धर्म पर आंच न आने दी। श्रीराम ने भी पत्नी की अनुस्थिति में अश्वमेघ यज्ञ के दौरान उनकी सोने की प्रतिमा बनवा कर उसे साथ बैठाया. एक राजा होते हुए भी उन्होंने पत्नी सीता के दूर जाने के बाद भी दूसरी स्त्री से विवाह नहीं किया. दोनों के बीच दूरियों के बाद भी माता सीता और श्रीराम का एक दूसरे के लिए प्रेम और वैवाहिक धर्म जस का तस बना रहा.
- सुरक्षा और सम्मान
प्रभु श्रीराम और माता सीता के रिश्ते में सुरक्षा और सम्मान दोनों की भावना थी. माता सीता के हरण के बाद श्रीराम उन्हें बचाने और उनकी सुरक्षा के लिए लंकापति रावण से युद्ध करने तक के लिए तैयार हो गए. हर पति को अपनी पत्नी के सुरक्षा और सम्मान का ध्यान रखना चाहिए. वहीं माता सीता के चरित्र और पवित्रता पर सवाल उठे, तो भले ही प्रभु राम को उनपर विश्वास था, लेकिन सीता जी ने पति के सम्मान और इज्जत के लिए अग्नि परीक्षा तक दी.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Hanuman Jayanti 2024: दिल्ली के प्राचीन हनुमान मंदिर में आज लगी है जबरदस्त भीड़, जानें इसका इतिहास
-
Jyotish Upay: आधी रात में भूत-प्रेत के डर से बचने के लिए मंत्र और उपाय
-
Hanuman Jayanti 2024 Wishes: आज हनुमान जयंती की पूजा के ये हैं 3 शुभ मुहूर्त, इन शुभ संदेशों के साथ करें सबको विश
-
Maa Laxmi Upay: देवी लक्ष्मी की चैत्र पूर्णिमा की रात करें ये उपाय, पाएं धन-वैभव और समृद्धि