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Durga Saptshati Path Blunder Mistake: ब्रह्मा के क्रोध से दूषित हैं मां दुर्गा के सभी मंत्र, सप्तशती पाठ के भयंकर श्राप से मुक्ति दिलाता है ये सहपाठ

Durga Saptshati Path Blunder Mistake: चैत्र नवरात्रों के दौरान माँ दुर्गा के मंत्र और दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले इस सहपाठ को करना है अति अवाश्यक नहीं तो श्राप के भोगी बन कसते हैं आप.

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Gaveshna Sharma
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ब्रह्मा के क्रोध से दूषित हैं मां दुर्गा के सभी मंत्र और सप्तशती पाठ

ब्रह्मा के क्रोध से दूषित हैं मां दुर्गा के सभी मंत्र और सप्तशती पाठ ( Photo Credit : News Nation)

Durga Saptshati Path Blunder Mistake: सनातन धर्म इस बात का उल्लेख मिलता है कि पाठ के दौरान नियमों में चूक व्यक्ति को अशुद्धि के पाप का भोगी बनाती है. ऐसे में चैत्र नवरात्रों (Chaitra Navratra 2022) के दौरान भी दुर्गा सप्तशती पाठ के कुछ बहुत ही कड़े नियम हैं जिन्हें ताक पर रखना आपको इस पाठ के श्राप का भोगी बना सकता है. इस अवस्था से बचने के लिए ही ग्रंथों में दुर्गा सप्तशती पाठ के साथ इस सह पाठ को करने की सलाह दी जाती है. यह सह पाठ न सिर्फ श्राप के कोप क नष्ट करता है बल्कि व्यक्ति को शुद्धि धारण करने में भी सहायक है. 

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यह भी पढ़ें: Chaitra Navratri 2022, 9 Mantras of 9 Mata: मां दुर्गा के नौ रूपों के नौ महा मंत्र, एक चूक से परिवार का हो सकता है विध्वंस

शापोद्धार के बिना अपूर्ण है दुर्गा सप्तशती का पाठ
- हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की उपासना करने से हर मनोकामना की पूर्ति होती है. माना जाता है कि नवरात्रि की अवधि में मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ सर्वोत्म है. दुर्गा सप्तशती का पाठ तभी सफल होता है जब विधि पूर्वक शापोद्धार का पाठ किया जाता है. 

- शास्त्रों के मुताबिक दुर्गा सप्तशती के पाठ में कवच, अर्गला और कीलक स्तोत्र से पहले शापोद्धार का पाठ करना अनिवार्य है. दुर्गा सप्तशती के सभी मंत्र ब्रह्मा, वशिष्ठ और विश्वामित्र ऋषि द्वारा शापित हैं. यही कारण है कि शापोद्धार पाठ के बिना दुर्गा सप्तशती के पाठ का फल नहीं मिलता है. 

कैसे करें सप्तशती का पाठ?
- अगर एक दिन में संपूर्ण पाठ करना संभव ना हो तो पहले दिन सिर्फ मध्यम चरित्र का पाठ कर सकते हैं. वहीं दूसरे दिन बचे हुए चरित्रों का पाठ किया जा सकता है. 

- इसके अलावा एक अन्य विकल्प यह भी है कि पहले दिन अध्याय एक का पाठ, दूसरे दिन दूसरे अध्याय का 2 आवृत्ति पाठ, तीसरे दिन चतुर्थ अध्याय का एक आवृत्ति पाठ, चौथे दिन 5वें, छठे, 7वें, और 8वें अध्याय का पाठ, पांचवें दिन 9वें और 10 वें अध्याय का पाठ, छठे दिन 11वें अध्याय का पाठ, और 7वें दिन 12वें और 13वें अध्याय का पाठ कर सकते हैं. 

- इस तरह से 7 दिन में दुर्गा सप्तशती का संपूर्ण पाठ कर सकते हैं.

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