Sindoor Khela : जानें सिंदूर खेला की परंपरा के बारे में, क्या‍ होता है देवी बोरोन

नवरात्रि के बाद मां दुर्गा की प्रतिमा के विसर्जन के दिन पश्‍चिम बंगाल और बांग्‍लादेश के कुछ इलाकों में सिंदूर खेला या सिंदूर उत्सव (Sindur Khela) मनाया जाता है.

author-image
Sunil Mishra
New Update
sindoor khela

जानें सिंदूर खेला की परंपरा के बारे में, क्या‍ होता है देवी बोरोन( Photo Credit : File Photo)

नवरात्रि के बाद मां दुर्गा की प्रतिमा के विसर्जन के दिन पश्‍चिम बंगाल और बांग्‍लादेश के कुछ इलाकों में सिंदूर खेला या सिंदूर उत्सव (Sindur Khela) मनाया जाता है. सुहागिन महिलाएं (Married Women) इस दिन पान के पत्ते से मां दुर्गा को सिंदूर (Sindur) अर्पित करती हैं. उसके बाद एक दूसरे को सिंदूर लगाती हैं और एक-दूसरे को सौभाग्‍यवती होने की शुभकामनाएं देती हैं. कहते हैं कि मां दुर्गा मायके से विदा होकर ससुराल जाती हैं तो सिंदूर से उनकी मांग भरी जाती है. मां दुर्गा को इस मौके पर पान और मिठाई भी खिलाई जाती है.

Advertisment

सिंदूर खेला का बंगाली समुदाय में खास महत्‍व है. माना जाता है कि करीब 450 साल पहले महिलाओं ने मां दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी, कार्तिकेय और भगवान गणेश की पूजा के बाद उनके विसर्जन से पहले उनका शृंगार कर मीठे व्यंजनों से भोग लगाया और खुद सोलह शृंगार में सजीं. इसके बाद मां दुर्गा को लगाए सिंदूर से अपनी और अन्‍य विवाहित महिलाओं की मांग भरी. माना जाता है कि इससे माता प्रसन्‍न होंगी और सौभाग्‍यवती होने का वरदान देंगी.

माना जाता है कि साल में एक बार मां दुर्गा मायके आती हैं और 10 दिन तक रुकती हैं, जिसको दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है. सिंदूर खेला की रस्म पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के कुछ हिस्सों में पहली बार शुरू हुई थी. 

मां दुर्गा के विसर्जन के दिन महाआरती से अनुष्‍ठान की शुरुआत होती है और मां को शीतला भोग चढ़ाया जाता है. इसमें कोचुर शाक, पंता भात और इलिश माछ को शामिल किया जाता है. पूजा के बाद प्रसाद वितरण किया जाता है. पूजा में देवी के ठीक सामने दर्पण रखा जाता है और भक्त देवी दुर्गा के चरणों की एक झलक पाने के लिए दर्पण में देखते हैं. कहा जाता है कि जिसे मां दुर्गा के पैर दर्पण में दिख जाते हैं, उन्हें सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

मां की पूजा के बाद देवी बोरन करने का रिवाज है. इसमें विवाहित महिलाएं देवी को अलविदा कहने के लिए कतार में खड़ी होती हैं. उनकी थाली में सुपारी, पान का पत्ता, सिंदूर, आलता, अगरबत्ती और मिठाइयां होती हैं. महिलाएं पान का पत्ता और सुपारी लेकर मां के चेहरे को पोंछती हैं. इसके बाद मां को सिंदूर लगाया जाता है. इस दौरान महिलाएं माता को शाखां और पोला (लाल और सफेद चूडि़यां) पहनाती हैं. मिठाई के अलावा पान-सुपारी चढ़ाया जाता है और इसके बाद मां विदा हो जाती हैं.

Source : News Nation Bureau

सिंदूर खेला दुर्गापूजा Devi Boran Maa Durga दशहरा Maa Durga Visarjan Dussehra Sindoor Khela देवी बोरान Navratri 2020
      
Advertisment