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Diwali 2023: यूं करें दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश की पूजा! भगवान ऐसे होंगे प्रसन्न

दिवाली की पूजा कैसे करें? चलिए जानते हैं दिवाली पर माता लक्ष्मी और गणेश जी को प्रसन्न करने के उपाय क्या हैं, ताकि भगवान आपसे प्रसन्न होंगे. 

Updated on: 10 Nov 2023, 05:46 PM

नई दिल्ली:

दिवाली का त्योहार करीब है, इस साल 12 नंवबर यानि रविवार के दिन ये त्योहार मनाया जा रहा है. भक्त इस दिन, शाम के वक्त माता लक्ष्मी और गणेश जी की पुजा-अर्चना करते हैं. इससे भक्तों को धन, संपत्ति, सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य इत्यादी की प्राप्ति होती है. मालूम हो कि दिवाली पर गणेश जी के आशीर्वाद से हमारा धन स्थाई रहता है, साथ ही सारे काम पूरे होते हैं. वहीं माता लक्ष्मी की पूजा से धन, वैभव मिलता है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि, दिवाली पर माता लक्ष्मी और गणेश जी को प्रसन्न करने के क्या उपाय हैं? 

यूं दिवाली पर माता लक्ष्मी और गणेश जी की करें पूजा

1. पूजा की तैयारी:
    पूजा के लिए साफसुथरे स्थान का चयन करें, ताकि माता लक्ष्मी और गणेश जी प्रसन्न हों, अन्यथा आप उन्हें नाराज कर सकते हैं. वहीं पूजा के वक्त आसन, थालियां, और अन्य पूजा सामग्री को तैयार रखेंं, ये पूरे माहौल को भक्ती से भर देगा, साथ ही आप भी प्रसन्न रहेंगे.

2. गणेश पूजा:
      पूजा की शुरुआत गणेश पूजा से करें, पहले बहुत ही अच्छी तरह से गणेश मूर्ति को सजाएं, फिर दूर्वा, मोदक, और फूल गणेश जी को अर्पित करें. अब पूरे भक्तीभाव से और गणेश मंत्रों के साथ उनकी पूजा करें, फिर आरती उतारें. इससे गणेश जी आपकी भक्ती से काफी ज्यादा प्रसन्न होंगे. 

3. लक्ष्मी पूजा:
         गणेश जी की पूजा के बाद, माता लक्ष्मी की पूजा करें. इसके लिए पहले लक्ष्मी मुर्ती को  सजाकर पूजा स्थान पर रखें. फिर कलश स्थापित करें और उसमें पानी, सुपारी, सिक्के, और सुगंधित फूल डालें. अब लक्ष्मी मंत्रों का उच्चारण करें और पूजा करें, फिर इसके बाद माता लक्ष्मी की आरती उतारें. मालूम हो कि धनतेरस के दिन, धनलक्ष्मी पूजा का काफी ज्यादा विशेष महत्व है. 

4. आरती और प्रसाद: 

गणेश जी और माता लक्ष्मी की आरती उतारने के बाद, अब पूजा के पश्चात्, प्रसाद बांटें, कोशिश करें कि इस प्रसाद को धन्यवाद के साथ सभी को दें. ताकि माता लक्ष्मी और गणेश जी आप पर प्रसन्न हों और आपकी सारी मनोकामना पूरी हो. 

5. दीपावली का उत्सव: दीपावली के दिन, घर को दीपों से सजाएं. पटाखे न बजाएं और प्राकृतिक तरीके से इस उत्सव का आनंद लें.

ध्यान रहे कि यह विधि सामान्य है और स्थानीय परंपराओं और आपके आचार्य या परिवार की प्राथमिकताओं के आधार पर अनुकरण की जा सकती है.