Diwali 2020: क्यों मनाई जाती है छोटी दिवाली और क्या है इसका महत्व, जानें मुहूर्त और विधि
Diwali 2020: पांच दिवसीय दीपों का त्योहार आज धनतेरस के दिन से शुरू हो गया है. तिथियों में हेरफेर के चलते आज ही धनतेरस के बाद चतुर्दशी तिथि शुरू हो रही है. इस कारण कई जगहों पर आज ही छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी भी मनाई जाएगी.
नई दिल्ली:
Diwali 2020: पांच दिवसीय दीपों का त्योहार आज धनतेरस के दिन से शुरू हो गया है. तिथियों में हेरफेर के चलते आज ही धनतेरस के बाद चतुर्दशी तिथि शुरू हो रही है. इस कारण कई जगहों पर आज ही छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी भी मनाई जाएगी. पांच दिवसीय त्योहार में धनतेरस, नरक चतुर्दशी (Chhoti Diwali), दिवाली, पड़वा (Govardhan Puja) और भाई दूज मनाया जाता है. नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली को रूप चतुर्दशी या काली चौदस के रूप में भी मनाया जाता है.
इस साल 13 नवंबर को शाम 5:59 बजे से चतुर्दशी तिथि शुरू होगी और 14 नवंबर को दोपहर 2:17 बजे खत्म होगी. अभ्यंग स्नान मुहूर्त 14 नवंबर को सुबह 5:23 से सुबह 6:43 तक रहेगा.
छोटी दिवाली को लेकर मान्यता है कि प्रागज्योतिषपुर के दैत्यराज नरकासुर ने बीमार महिलाओं को काफी परेशान किया और विभिन्न देवताओं की 16000 बेटियों को कैद कर लिया. देवी अदिति के सोने के झुमके भी छीन लिए. अदिति को सभी देवी-देवताओं की मां माना जाता है. भगवान कृष्ण की पत्नी सत्यभामा को इस बात का पता चला तो वह भगवान कृष्ण के पास पहुंचीं. उनके कहने पर भगवान कृष्ण ने नरकासुर को हराया और कन्याओं को कैदमुक्त कराया. मां अदिति के कीमती झुमके भी बरामद कर लिए गए. उसके बाद से इस दिन को छोटी दिवाली के रूप में मनाया जाने लगा. नरकासुर के वध के चलते इसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाने लगा. यह भी कहा जाता है कि नरकासुर की मां भूदेवी ने ऐलान किया था कि उसके बेटे की मौत पर शोक के बदले जश्न मनाया जाना चाहिए.
एक दूसरी प्रचलित कथा में कहा गया है कि देवताओं को डर था कि राजा बलि बहुत शक्तिशाली हो रहे हैं. इसलिए भगवान विष्णु खुद एक ऋषि के रूप में उनके सामने गए और उन्हें अपने राज्य पर तीन फुट की जगह देने के लिए बोले. भगवान विष्णु ने धरती और स्वर्ग लोक को दो कदमों से माप दिया और तीसरे कदम में राजा बलि के सिर को मांगा और इस तरह से राजा बलि के शासन का अंत हो गया. बुराई के ऊपर अच्छाई की जीत के रूप में भी छोटी दिवाली का त्योहार मनाया जाता है.
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