1,500 किलो सोने से बना इकलौता मंदिर जहां होता है माता लक्ष्मी का जलाभिषेक, यहीं से करें मंदिर के दर्शन
Golden Temple of Mata Laxmi: दीपावली के दिन करीब 11 घंटे का होता है यज्ञ फिर होती है खास आरती. इसी के साथ जानें मंदिर की अन्य विशेषताएं.
highlights
- भारत में माता महालक्ष्मी का इकलौता मंदिर जहां दीपावली पर होती है माता की खास पूजा.
- इस बार मंदिर परिसर को दीपावली के दिन 32, 000 दीयों से किया जाएगा रौशन.
- माता लक्ष्मी की स्वर्ण प्रतिमा का ही वजन करीब 72 किलो है.
वेल्लौर:
कांचीपुरम (Kanchipuram) से लगभग 70 किलोमीटर दूर वेल्लोर (तमिलनाडु-Tamilnadu) के निकट श्रीपुरम या श्रीनारायणी पीडम मंदिर में आज दीपावली (Deepawali 2019) के दिन मां लक्ष्मी (Mata Mahalaxmi) की खास आराधना की जाती है. दीपावली के दिन मां महालक्ष्मी की 11 घंटे तक यज्ञ होता है और इसके बाद माता की खास आरती करने की परंपरा है.
मंदिर के पीआरओ आर भाष्कर (PRO R Bhaskar) के अनुसार आज दीपावली के अवसर पर पूरे मंदिर परिसर में 32,000 से ज्यादा दीये जलाएं जाएंगे और माता की आराधना की जाएगी. जिसमें से 10008 दीयों से केवल यज्ञशाला जगमग होगा जबकि अन्य करीब 20 हजार दीयों से सौ एकड़ में फैले मंदिर परिसर को रौशन किया जाएगा. इस मंदिर की खास बात है कि ये मंदिर करीब 1500 किलो सोने से बना हुआ है.
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इस मंदिर में खास दर्शन करने के लिए करीब दीपोत्सव के पांच दिनों में इस बार श्रद्धालुओं की संख्या ढाई लाख तक पार कर चुकी है. यहां दीपावली पर मां लक्ष्मी की पूजा के साथ ही साथ गोवर्धन पूजा की तैयारियां भी शुरू है.
इस मंदिर में मां लक्ष्मी की दो प्रतिमाएं हैं. माता की एक प्रतिमा 72 किलो सोने से बनी हुई है, जो चांदी के सिंहासन पर विराजित है जबकि दूसरी प्रतिमा काले पत्थर की है. पत्थर से बनी मां महालक्ष्मी की प्रतिमा की ऊंचाई 5 फीट है.
मंदिर की खास बातें-
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- वेल्लोर के इस मंदिर में माता लक्ष्मी की दीपावली पर विशेष पूजा का विधान है.
- हर साल करीब 11 घंटे के यज्ञ के बाद माता लक्ष्मी की विशेष आरती होती है.
- दीपावली के बाद भी मंदिर में गोवर्धन पूजा की पूजा का विधान है.
- ये मंदिर परिसर करीब 100 एकड़ में फैला है.
- सौ एकड़ में फैले मंदिर परिसर में श्रीयंत्र डेढ़ किलोमीटर क्षेत्र में है.
- इसी श्री यंत्र के बीच में माता का मंदिर स्थित है.
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- ये भारत का पहला ऐसा मंदिर है जहां माता लक्ष्मी का जलाभिषेक होता है.
- यहां आने वाला हर भक्त स्वर्ण प्रतिमा का अभिषेक कर सकता है और जल प्रसाद के रुप में अपने साथ भी ले जा सकता है.
- वैसे तो यहां पर आम दिनों में करीब 22-25 हजार श्रद्धालु रोज दर्शन करने आते हैं.
- दीपावली के दिन ये संख्या काफी ज्यादा बढ़ जाती है.
- मंदिर में महालक्ष्मी की प्राचीनतम आराधना श्रीसूक्त निरंतर होता रहता है.
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