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Dhanteras 2020 : क्‍यों मनाया जाता है धनतेरस का त्‍योहार, जानें इसका पौराणिक महत्व

पांच दिवसीय दीपों के त्‍योहार दिवाली की शुरुआत धनतेरस से होती है. कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाया जाता है. इसके बाद रूप चौदस या नरक चतुर्दशी और फिर दिवाली का त्‍योहार आता है.

Updated on: 08 Nov 2020, 03:30 PM

नई दिल्ली:

पांच दिवसीय दीपों के त्‍योहार दिवाली की शुरुआत धनतेरस से होती है. कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाया जाता है. इसके बाद रूप चौदस या नरक चतुर्दशी और फिर दिवाली का त्‍योहार आता है. दिवाली के अगले दिन अन्‍नकूट और गोवर्द्धन पूजा और फिर भाईदूज का त्‍योहार आता है. आज हम आपको बताएंगे कि धनतेरस का क्‍या महत्‍व है और इसे क्‍यों मनाया जाता है.

समुद्र मंथन के दौरान जो अमृत कलश लेकर प्रकट हुए वो धनवंतरि देव ही थे. जिस दिन वो समुद्र से निकले उस दिन कार्तिक मास की त्रयोदशी थी इसीलिए हर साल इस दिन धनतेरस के रूप में मनाया जाता है. इसी कारण त्रयोदशी तिथि को धनतेरस कहा जाने लगा. धन्‍वंतरि को चिकित्सा का देवता भी कहा जाता है. 

धनतेरस के दिन धातु से बनी चीजें खरीदना बेहद शुभ माना गया है. इस दिन नए बर्तन खरीदने से 13 गुणा वृद्धि होती है. इसीलिए इस दिन खरीदारी का बड़ा क्रेज है. इस दिन चांदी खरीदना भी शुभ माना जाता है. इसलिए इस दिन चांदी की लक्ष्मी और गणेश की मूर्ति लोग खरीदते हैं. 

धनतेरस के दिन घर के आंगन व मुख्य द्वार पर दीया जलाने का रिवाज है. इससे घर में सुख समृद्धि व खुशहाली बनी रहती है. धनतेरस के दिन भगवान धन्वन्तरि की पूजा भी की जाती है और भगवान धन्‍वंतरि से लोग अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं. इस दिन भगवान धनवंतरि के साथ माता लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है.