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Dhanteras 2019: आज मनाया जा रहा है धनतेरस, जानिए क्या है इसका महत्व

मान्यता है कि इसी दिन भगवान धन्वंतरि का जन्‍म हुआ था, जो कि समुद्र मंथन के दौरान अपने साथ अमृत का कलश और आयुर्वेद लेकर प्रकट हुए थे

Updated on: 25 Oct 2019, 11:06 AM

नई दिल्ली:

दिवाली से पहले धनतेरस पर पूजा का खास महत्व होता है. धन और आरोग्य के लिए भगवान धन्वंतरि और कुबेर की पूजा की जाती है. धनतेरस के लिए बाजार हफ्ते भर पहले से ही तैयार हो जाते हैं. इस दिन खरीदारी करने का विशेष महत्व होता है, क्योंकि इस मां लक्ष्मी की आराधना करने से धन में तेरह गुना की वृद्धि होती है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास की तेरस यानी कि 13वें दिन धनतेरस मनाया जाता है. इस दिन ये तिथि आज यानी 25 अक्टूबर को पढ़ रही है. देशभर में आज धनतेरस का त्योहार मनाया जा रहा है.

मान्यता है कि इसी दिन भगवान धन्वंतरि का जन्‍म हुआ था, जो कि समुद्र मंथन के दौरान अपने साथ अमृत का कलश और आयुर्वेद लेकर प्रकट हुए थे. इसी कारण से भगवान धन्वंतरि को 'औषधी का जनक' भी कहा जाता है.

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शुभ मुहूर्त

धनतेरस मुहूर्त- शाम 07.08 बजे से रात 8.14 बजे तक
अवधि- 1 घंटा 06 मिनट

इस दिन खरीददारी करने से घर में मां लक्ष्मी का वास होता है. इसीलिए दुकानदार हर तरह से ग्राहकों को लुभाने की कोशिश में जुटे रहते हैं. कहा जाता है कि धनतेरस का त्योहार अपने धन को तेरह गुना बनाने का दिन है. लिहाजा इस रोज लोग सोने-चांदी की खरीद को ज्यादा तरजीह देते हैं.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन सोने और चांदी की चीजें खरीदना शुभ होता है. सोने और चांदी की चीजें खरीदने से घर में लक्ष्मी हमेशा निवास करती हैं और घर में सुख समृद्धि और धन की कमी नहीं होती. इस दिन घरों में देवी लक्ष्मी को खुश करने के लिए भजन भी गाए जाते हैं. इस मौके पर लोग धन की वर्षा के लिए नए बर्तन और आभूषण खरीदते हैं. ऐसी मान्यता है कि धातु नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करती है. यहां तक कि धातु से आने वाली तरंगे भी थेराप्यूटिक प्रभाव पैदा करती है.

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ऐसे करें धनतेरस की पूजा

मिट्टी का हाथी और धन्वंतरि जी की प्रतिमा या फोटो को स्थापित करें. जल का आचमन करें और फिर गणेश भगवान का ध्यान और पूजन करें. फिर हाथ में अक्षत लेकर भगवान धन्वंतरि का ध्यान करें।

इस मंत्र का करें जाप

देवान कृशान सुरसंघनि पीडितांगान, दृष्ट्वा दयालुर मृतं विपरीतु कामः
पायोधि मंथन विधौ प्रकटौ भवधो, धन्वन्तरि: स भगवानवतात सदा नः
ॐ धन्वन्तरि देवाय नमः ध्यानार्थे अक्षत पुष्पाणि समर्पयामि...