Dev Uthani Ekadashi 2021: आज है देवोत्थान एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त और समय
देवउठानी एकादशी पर माता तुलसी और भगवान शालिग्राम के विवाह की परंपरा है। इसके बाद से चतुर्मास से रूके हुए मांगलिक कार्यक्रमों की शुरूआत हो जाती है।
highlights
- कार्तिक मास एकादशी तिथि 15 नवंबर को सुबह छह बजे 29 मिनट तक है.
- एकादशी व्रत रखने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की असीम कृपा होती है.
- कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवोत्थान एकादशी के नाम से पुकारा जाता है.
नई दिल्ली:
Dev Uthani Ekadashi 2021: कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवोत्थान एकादशी और देवउठनी एकादशी के नाम से पुकारा जाता है. इस दिन से चार माह से रूके हुए सभी मांगलिक कार्य दोबारा से शुरू हो जाते हैं. इस बार ये एकादशी 14 नवंबर को यानी आज पड़ रही है. मान्यता के अनुसार एकादशी व्रत रखने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की असीम कृपा होती है. भगवान श्रीहरि की कृपा से भक्तों की सभी मनोकामना पूरी होती हैं. एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने के साथ अपने खान-पान, व्यवहार में सात्विकता का अनुसरण करना चाहिए.
तुलसी विवाह 2021 शुभ मुहूर्त
कार्तिक मास एकादशी तिथि 15 नवंबर को सुबह छह बजे 29 मिनट तक है. इसके बाद द्वादशी तिथि की शुरुआत होती है. ऐसे में तुलसी विवाह 15 नवंबर, दिन सोमवार को करा जाता है. द्वादशी तिथि 15 नवंबर को सुबह छह बजकर 39 मिनट से शुरुआत होगी. यह 16 नवंबर को सुबह आठ बजकर 01 मिनट तक रहने वाली है.
तुलसी विवाह पौराणिक कथा
प्राचीन काल में जलंधर नामक राक्षस ने हाहाकार मचा रखा था। वह बड़ा पराक्रमी था. उसकी ताकत का रहस्य था, उसकी पत्नी वृंदा का पतिव्रता धर्म. उसी के प्रभाव से वह अजेय बन गया था. जलंधर के उपद्रव से परेशान सभी देवी-देवता भगवान विष्णु के पास गए और उनसे रक्षा करने की गुहार लगाई. देवी-देवताओं की प्रार्थना को सुन भगवान विष्णु ने वृंदा का पतिव्रता धर्म भंग करने करने मन बनाया. उन्होंने जलंधर का रूप धरकर छल से वृंदा को स्पर्श किया. विष्णु के स्पर्श करते ही वृंदा का सतीत्व नष्ट हो गया.
वृंदा का सतीत्व नष्ट होने के कारण जलंधर युद्ध में मारा गया. जलंधर का सिर उसके आंगन में आ गिरा. जब वृंदा ने यह देखा तो बहुत क्रोधित हो उठी। इसके बाद उसने यह जानने की कोशिश की उसे स्पर्श करने वाला कौन है. इसके बाद उनके सामने भगवान विष्णु सामने आए. वृंदा ने भगवान को शाप दे दिया, 'जिस प्रकार तुमने छल से मुझे वियोग दिया है, उसी प्रकार तुम्हारी पत्नी का भी छलपूर्वक हरण किया जाएगा. स्त्री वियोग को सहने के लिए तुम्हें मृत्यु लोक में जन्म लेना होगा.' यह कहकर वृंदा अपने पति के साथ सती हो गईं. वृंदा के शाप से ही प्रभु श्रीराम ने अयोध्या के राजा दशरथ के यहां पर जन्म लिया। उन्हें सीता वियोग सहना पड़ा़. जिस जगह वृंदा सती हुईं वहीं पर तुलसी का पौधा उत्पन्न हुआ.
भगवान ने वृंदा के शाप को कायम रखने को लेकर एक अन्य रूप शालिग्राम के रूप में प्रकट कर लिया। भगवान ने ही वृंदा को वरदान दिया कि तुम्हारी राख से तुम तुलसी के रूप में प्रकट होगी और देवी लक्ष्मी के समान मुझे प्रिय रहोगी। तुम्हें मैं हमेशा अपने सिर पर धारण करूंगा. देवी देवताओं ने कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि को प्रबोधिनी एकादश के दिन भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप का विवाह सती तुलसी के साथ कराया.उस दिन को याद करते हुए हर साल देवी तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम विवाह की परंपरा चली आ रही है.
देवउत्थान एकादशी समय
एकादशी की शुरूआत – नवम्बर 14, 2021 को सुबह 05:48 बजे
एकादशी तिथि समाप्त – 15 नवंबर को सुबह 06:39 बजे समाप्त होगी.
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