Devuthani Ekadshi 2022: देवउठनी एकादशी के दिन इस विधि से करें भगवान विष्णु की पूजा, मिलेगा दोगुना लाभ
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक मास के एकादशी तिथि पर पड़ने वाला देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह को लेकर लोग बहुत दुविधा में हैं, तो आइए हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि आखिर किस दिन तुलसी विवाह मनाया जाएगा
highlights
- देवउठनी एकादशी कब है
- ऐसे करें भगवान विष्णु को प्रसन्न
- भगवान विष्णु की आरती
नई दिल्ली:
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक मास के एकादशी तिथि पर पड़ने वाला देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह को लेकर लोग बहुत दुविधा में हैं, तो आइए हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि आखिर किस दिन तुलसी विवाह मनाया जाएगा और किस दिन देवउठनी एकादशी है. पौराणिक कथा के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु चार मास की निद्रा के बाद जागे थे, उसी दिन को देवउठनी एकादशी कहा जाता है. वहीं उसके बाद कार्तिक मास के द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु के शालीग्राम स्वरूप के साथ माता तुलसी के साथ विवाह किया था, जिसे तुलसी विवाह कहते हैं.
कब है देवउठनी एकादशी, शुभ मुहूर्त क्या है?
देवउठनी एकादशी तिथि 3 नवंबर को यानी कि आज शाम को 7:30 मिनट से शुरू हो जाएगा और अगले दिन यानी कि 4 नवंबर को शाम 6:09 मिनट पर समाप्त हो जाएगा. इसलिए देवउठनी एकादशी इस साल 4 नवंबर को मनाया जाएगा.
तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त कब है?
तुलसी विवाह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 5 नवंबर को शाम 6:08 मिनट से शुरू होकर 6 नवंबर यानी की शाम को 5:06 मिनट पर समाप्त हो जाएगा.
ऐसे मिलेगा दोगुना लाभ
देवउठनी एकादशी को भगवान विष्णु का त्योहार माना जाता है. ऐसे में इस दिन को और खास बनाने या फिर लाभ लेने के लिए आपको ज्यादा से ज्यादा विष्णु अराधाना करना होगी, जो आपको अच्छा और बेहतर फल देगी. इसके लिए आप विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ ज्यादा से ज्यादा करें या फिर मोबाइल में इसे चलाकर सुनने से भी आपको फायदा होगा.
क्या है तुलसी पूजन की विधि?
-सबसे पहले एकादशी तिथि के दिन ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-5 का समय) में स्नान करें.
-भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करें
-भगवान विष्णु को घी का दीपक जलाएं और भोग लगाएं
-मान्यतानुसार इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी अर्पित करना बेहद शुभ माना जाता है
-उसके बाद भगवान विष्णु का संकल्प कर विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें
-मान्यताओं के मुताबिक इस दिन अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए.
- भगवान विष्णु के शालीग्राम रूप के साथ माता तुलसी की विधि- विधान के साथ पूजा अर्चना करें.
- इस दिन दान-दक्षिणा करना भी बहुत फलदायी होता है.
भगवान विष्णु की आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय...॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय...॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय...॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय...॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय...॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय...॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय...॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय...॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय...॥
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