हिन्दू धर्म में आषाढ़ मास की देवशयनी एकादशी के बाद से देवउठनी तक सभी शुभ और मंगल कार्य बंद हो जाते है. इस साल देवशयनी एकादशी 1 जुलाई को पड़ रही है. पुराणों के अनुसार, देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु 4 महीने के लिए विश्राम करने क्षीर सागर में चले जाते है. 4 महीने तक भगवान विष्णु के निद्रा की मुद्रा में रहने के कारण विवाह,उपनयन संस्कार, गृहप्रवेश जैसे मांगलिक कार्य नहीं किया जाते है. एक कथा के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष में एकादशी की तिथि को शंखासुर दैत्य मारा गया था तब से इस दिन से भगवान चार महीने तक क्षीर सागर में सोने के लिए चले जाते हैं.
सूर्य, चंद्रमा और प्रकृति का तेजस तत्व कम हो जाता है, इसलिए कहा जाता है कि देवशयन हो गया है. यहां तक साधु भी भ्रमण बंद कर एक जगह बैठ प्रभु की साधना करते हैं. फिर चार महीने बद सूर्य के तुला राशि में प्रवेश करने के बाद भगवान विष्णु एक बार फिर सृष्टि के संचालन को संभाल लेते हैं.
देवशयनी एकादशी की पूजा विधि
एकादशी की पूजा की एक रात पहले दशमी से ही नमक का सेवन नहीं करते है।
पूजा वाले दिन नहा-धोकर भगवान विष्णु की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराते है।
धूप-दीप फूल आदि के साथ भगवान के मंत्र का उच्चारण करते है।
Source : News Nation Bureau