New Update
/newsnation/media/media_files/q5DuEdsetGYSXhu2KOlR.jpeg)
Devi Chitralekha
0
By clicking the button, I accept the Terms of Use of the service and its Privacy Policy, as well as consent to the processing of personal data.
Don’t have an account? Signup
Devi Chitralekha: कथावाचक एक ऐसा पेशा है जिसके बारे में लोगों को लगता है कि कथा सुनाने वाले लोगों को फीस नहीं लेनी चाहिए. क्या कथा सुनाने वाले फीस लेते हैं इस बात पर देवी चित्रलेखा का क्या कहना है आइए जानते हैं.
Devi Chitralekha
Devi Chitralekha: देवी चित्रलेखा का नाम देश की प्रमुख कथावाचकों में शामिल है, और उनके वीडियो सोशल मीडिया पर काफी शेयर किए जाते हैं. अपनी सरल और स्पष्ट शैली में धार्मिक उपदेश देने के लिए जानी जाने वाली देवी चित्रलेखा अक्सर इंटरव्यूज और पॉडकास्ट में अपनी राय बेझिझक साझा करती हैं. हाल ही में एक इंटरव्यू में उन्होने बताया कि कथावाचक कथा सुनाने के पैसे लेते हैं या नहीं. जो भी धनराशि उनके पास आती है वो उसका पर्सनल इस्तेमाल करते हैं या नहीं.
हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान देवी चित्रलेखा से एक सवाल पूछा गया, जो काफी लोगों के मन में भी हो सकता है. सवाल था, "आप जैसे जो कथावाचक हैं, उनके ट्रस्ट भी चलते हैं. कई लोग ट्रस्ट में दान भी देते हैं और आपकी कथा की भी एक कॉस्ट होती है. अब जब आप धार्मिक मार्ग पर हैं, तो इस पैसे की आपको जरूरत क्या है? और इस पैसे का उपयोग कहां पर होता है?"
इस सवाल का जवाब देते हुए देवी चित्रलेखा ने बहुत स्पष्टता से अपनी बात रखी. उन्होंने कहा, "पहली बात तो मैं ऑन कैमरा बिल्कुल स्पष्ट कर दूं कि मेरी कथा की कोई कॉस्ट नहीं है." उन्होंने बताया कि जो भी खर्च होता है, वह उनके ट्रस्ट द्वारा संभाला जाता है, और इस ट्रस्ट का मुख्य उद्देश्य समाज सेवा है.
उन्होंने आगे कहा कि जो भी लोग कथा में दान करते हैं, वह पूरी तरह से स्वैच्छिक होता है. किसी पर कोई बाध्यता नहीं होती कि वह दान करे. यह दान सामाजिक और धार्मिक कार्यों में उपयोग होता है, जैसे कि गरीबों की सहायता, अनाथ बच्चों की देखभाल, और धार्मिक स्थलों का निर्माण. इस तरह के कार्यों के लिए धन की आवश्यकता होती है, और यही कारण है कि लोग ट्रस्ट में दान देते हैं.
देवी चित्रलेखा ने इस बात पर भी जोर दिया कि धार्मिक कार्य केवल उपदेश देने तक सीमित नहीं होते. उन्हें समाज के उत्थान और सुधार के लिए भी काम करना पड़ता है, और इसके लिए संसाधनों की जरूरत होती है. उन्होंने स्पष्ट किया कि कथा की फीस नहीं होती, लेकिन जो भी धनराशि ट्रस्ट में आती है, उसका इस्तेमाल पूरी पारदर्शिता के साथ किया जाता है.
उन्होने यह भी बताया कि उनके ट्रस्ट के जरिए किए जाने वाले कार्यों की जानकारी नियमित रूप से साझा की जाती है, ताकि दानदाताओं को यह पता चल सके कि उनका धन कहां और कैसे उपयोग हो रहा है. उनका उद्देश्य केवल धार्मिक उपदेश देना नहीं, बल्कि समाज की सेवा भी करना है, और इसके लिए धन और संसाधनों का होना आवश्यक है.
इस तरह, देवी चित्रलेखा ने बड़े ही सरल और प्रभावी तरीके से यह स्पष्ट कर दिया कि धार्मिक कार्यों के लिए धन का प्रबंधन और उसका सही उपयोग कितना महत्वपूर्ण है, और यह सब समाज के कल्याण के लिए ही किया जाता है.
Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप न्यूज़ नेशन के धर्म-कर्म सेक्शन के साथ ऐसे ही जुड़े रहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)