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काशी में देव दीपावली आज, 15 लाख दीयों से जगमग होंगे गंगा घाट

कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली का पर्व मनाने का रिवाज है. काशी के गंगा घाट पर लोग दीपक जलाते हैं. इस धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के परंपरा को देवताओं की दीपावली भी कहते हैं.

Updated on: 19 Nov 2021, 08:39 AM

highlights

  • कार्तिक पूर्णिमा तिथि पर देव दीपावली का उत्सव मनाया जाएगा
  • 22 से अधिक जगहों पर किया जाएगा गंगा आरती का आयोजन
  • आज पवित्र नदियों में स्नान करने और दीपदान करने का विशेष महत्व

वाराणसी:

काशी में आज दीपावली के 15 दिनों के बाद कार्तिक पूर्णिमा तिथि पर देव दीपावली का उत्सव मनाया जाएगा. लोग पूर्णिमा के दिन खूबसूरत रंगोली और लाखों दीये जलाकर इस त्योहार को हर्षोल्लास के साथ मनाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं. माना जा रहा है कि वाराणसी के गंगा घाट 15 लाख दीयों से जगमग होंगे. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दीपदान करने का विशेष महत्व है. इस दौरान अस्सी से राजघाट तक 84 घाटों के बीच 22 से अधिक जगहों पर गंगा आरती का आयोजन किया जाएगा.

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कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली का पर्व मनाने का रिवाज है. काशी के गंगा घाट पर लोग दीपक जलाते हैं. इस धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के परंपरा को देवताओं की दीपावली भी कहते हैं. वाराणसी में देव दीपावली के पर्व पर घाट, कुंड, गलियां और चौबारे दीपों से रौशन होंगे. इस दौरान घाटों पर लेजर शो दिखेगा. वहीं पहली बार कन्याएं मां गंगा की आरती उतारेंगी और 108 किलो फूल से श्रृंगार किया जाएगा. देव दीपावली की रात शिव की नगरी का नजारा देवलोक का आभास कराएगा. घाट, कुंड, गलियां, चौबारे और घर की चौखट दीयों की रौशनी से जगमग होगी. शहर से लेकर गांव, घाट और नदियों के किनारों को रौशनी से सजाने की तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं. चेतसिंह घाट, राजघाट पर लेजर शो दिखाया जाएगा. 

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व

हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है. पूरे कार्तिक महीने में पूजा, अनुष्ठान और दीपदान का विशेष महत्व होता है. इस कार्तिक माह में ही देवी लक्ष्मी की जन्म हुआ था और इसी महीने में भी भगवान विष्णु चार माह की योग निद्रा से जागे थे. कार्तिक पूर्णिमा के पवित्र  अवसर पर श्रद्धालु गंगा में पवित्र डुबकी लगाते हैं और शाम को मिट्टी के दीपक या दीया जलाते हैं. गंगा नदी के तट पर घाटों की सभी सीढ़ियां लाखों मिट्टी के दीयों से जगमगाती हैं. यहां तक कि वाराणसी के सभी मंदिर भी लाखों दीयों से जगमगाते हैं.

वाराणसी में दीपावली और देव दीपावली के बीच अंतर

अमावस्या के दिन पूरे भारत में दीपावली मनाई जाती है क्योंकि भगवान राम 14 साल के वनवास के बाद रावण को मारने के बाद अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अपने घर वापस आए थे. देव दिवाली दिवाली के ठीक 15 दिन बाद मनाई जाती है. इसे कार्तिक पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है.