रामायण में भी है कोरोना का जिक्र, बताया गया है कैसे मिलेगी मुक्ति

श्रीरामचरित्रमानस रामायण में गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामायण में बताया है कि कोरोना नाम की महामारी का मूल स्रोत चमगादड़ पक्षी होगा

author-image
Aditi Sharma
New Update
Ramayan Versions

रामायण( Photo Credit : फाइल फोटो)

कोरोना को लेकर इस वक्त दुनियाभर में तबाही का मंजर है. लाखों लोगों को अपना शिकार बना चुकी ये बीमारी लगातार अपने पैर पसार रही है लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद डॉक्टर्स और वैज्ञानिक इसे काबूी नहीं कर पा रहे हैं. आज कुछ महीनों पहले किसी ने नहीं सोचा होगा कि दुनिया में इस तरह की कोई बीमारी जो लाखों घर तबाह करके रख देगी. लेकि क्या आपको पता है कि इस बीमारी का जिक्र एख पवित्र ग्रंथ में कई सालों पहले ही कर दिया गया था. हम बात करें रहे हैं रामायण की. श्रीरामचरित्रमानस रामायण में गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामायण में बताया है कि कोरोना नाम की महामारी का मूल स्रोत चमगादड़ पक्षी होगा और इसी के साथ ही इसमें ये भी लिखा है कि इस बीमारी को पहचाने के मुख्य लक्ष्ण क्या होंगे.

Advertisment

यह भी पढ़ें: Ramadan 2020: इस दिन से रोजा शुरू, जानें सहरी और इफ्तार की टाइमिंग, यहां है पूरी लिस्ट

क्या लिखा है रामायण में-

दोहा

सब कै निंदा जे जड़ करहीं. ते चमगादुर होइ अवतरहीं॥ सुनहु तात अब मानस रोगा. जिन्ह ते दु:ख पावहिं सब लोगा॥

अर्थ

कोरोना के बारे में उन्होंने लिखा है कि इस बीमारी में कफ और खांसी बढ़ जाएगी और फेफड़ों में एक जाल या आवरण उत्पन्न होगा

दोहा

 मोह सकल ब्याधिन्ह कर मूला. तिन्ह ते पुनि उपजहिं बहु सूला.. काम बात कफ लोभ अपारा. क्रोध पित्त नित छाती जारा..

अर्थ

 इन सब के मिलने से "सन्निपात" या टाइफाइड रोग होगा जिससे लोग बहुत दुःख पाएंगे

यह भी पढ़ें: Ramadan 2020: जानें रोजे रखने के नियम और महत्व, अल्लाह होते हैं मेहरबान, मिलता है ये लाभ

दोहा

प्रीति करहिं जौं तीनिउ भाई. उपजइ सन्यपात दुखदाई.. बिषय मनोरथ दुर्गम नाना. ते सब सूल नाम को जाना.. जुग बिधि ज्वर मत्सर अबिबेका. कहँ लागि कहौं कुरोग अनेका..

आगे तुलसीदास जी लिखते हैं- दोहा- एक ब्याधि बस नर मरहिं ए असाधि बहु ब्याधि. पीड़हिं संतत जीव कहुं सो किमि लहै समाधि॥

 नेम धर्म आचार तप ग्यान जग्य जप दान. भेषज पुनि कोटिन्ह नहिं रोग जाहिं हरिजान इन सब के परिणाम स्वरूप क्या होगा गोस्वामी जी लिखते हैं- एहि बिधि सकल जीव जग रोगी. सोक हरष भय प्रीति बियोगी॥ मानस रोग कछुक मैं गाए. हहिं सब कें लखि बिरलेन्ह पाए॥1॥

अर्थ-  इस प्रकार सम्पूर्ण विश्व के जीव रोग ग्रस्त हो जाएंगे, जो शोक, हर्ष, भय, प्रीति और अपनों के वियोग के कारण और दुःख में डूब जाएंगे.

इस महामारी से मुक्ति कैसे मिलेगी-

जब इस बीमारी के कारण लोग मरने लगेंगे तथा भविष्य में ऐसी अनेकों बीमारियां आने को होंगी तब आपको कैसे शान्ति मिल पाएगी, इसका उत्तर भी श्री राम चरित्र मानस में ही मिलेगा.

इस विषय पर लिखा है- राम कृपां नासहिं सब रोगा. जौं एहि भाँति बनै संजोगा॥ सदगुर बैद बचन बिस्वासा. संजम यह न बिषय कै आसा॥ रघुपति भगति सजीवन मूरी. अनूपान श्रद्धा मति पूरी॥ एहि बिधि भलेहिं सो रोग नसाहीं. नाहिं त जतन कोटि नहिं जाहीं॥

Ramayan covid-19 corona news corona
      
Advertisment