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Chhath 2020 : खरना के दिन रखा जाता है निर्जला व्रत

छठ महापर्व में नहाय-खाय के बाद खरना छठ पूजा का अहम पड़ाव होता है. इस साल खरना गुरुवार (19 नवंबर) को है. खरना या लोहंडा के दिन सूर्योदय सुबह 06 बजकर 47 मिनट पर होगा.

Updated on: 19 Nov 2020, 07:36 AM

नई दिल्ली:

छठ महापर्व नहाय खाए के साथ बुधवार यानि 18 नवंबर शुरू हो गया है. छठ पूजा चार दिनों तक चलती है. छठ पूजा का पहला दिन नहाय-खाय होता है. इसके अगले दिन खरना होता है. छठ पर्व सूर्य की आराधना का पर्व है. खरना को लोहंडा भी कहा जाता है. इसका छठ पूजा में विशेष महत्व होता है. खरना के दिन छठ पूजा के लिए विशेष प्रसाद बनाया जाता है. खरना के दिन भर व्रत रखा जाता है और रात प्रसाद स्वरुप खीर ग्रहण किया जाता है.

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छठ महापर्व में नहाय-खाय के बाद खरना छठ पूजा का अहम पड़ाव होता है. इस साल खरना गुरुवार (19 नवंबर) को है. खरना या लोहंडा के दिन सूर्योदय सुबह 06 बजकर 47 मिनट पर होगा, वहीं सूर्यास्त शाम 05 बजकर 26 मिनट पर होगा. छठ पूजा का व्रत रखने वाला खरना के पूरे दिन व्रत रखता है. उसके बाद रात को खीर खाता है और फिर सूर्योदय के अर्घ्य देकर पारण करने तक ना कुछ खाता है और न ही जल ग्रहण करता है. इसमें रात में भोजन के बाद अगले 36 घंटे का कठिन व्रत रखा जाता है. 

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खरना के दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है. इसमें गुड़ और चावल का खीर बनाया जाता है, साथ ही पूड़ियां, खजूर, ठेकुआ आदि बनाया जाता है. पूजा के लिए मौसमी फल और कुछ सब्जियों का भी इस्तेमाल किया जाता है. व्रत रखने वाला व्यक्ति इस प्रसाद को छठी मैया को अर्पित करता है. खरना के दिन प्रसाद ग्रहण कर वह व्रत की शुरूआत करता है.