लोक आस्था और सूयरेपासना के महापर्व छठ के चार दिवसीय अनुष्ठान के दूसरे दिन बुधवार को व्रतियों ने दिनभर उपवास रखकर शाम को 'खरना' किया। व्रतधारियों ने सूर्यास्त के बाद गुड़ और दूध की बनी खीर तथा रोटी बनाकर प्रसाद स्वरूप भगवान सूर्य की पूजा की और उन्हें भोग लगाया। खरना के साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास प्रारंभ हो गया।
खरना के मद्देनजर पटना के गंगा तटों पर व्रती बड़ी संख्या में जुटे। व्रतियों ने स्नान कर मिट्टी के बने चूल्हे में आम की लकड़ी जलाकर गुड़, दूध और चावल की बनी खीर तथा रोटी बनाकर भगवान भास्कर की पूजा की और खरना किया। श्रद्घालुओं ने सुख-समृद्घि की कामना की।
खरना के बाद आसपास के लोगों और रिश्तेदारों ने भी व्रतियों के घर पहुंचकर प्रसाद ग्रहण किया।
गौरतलब है कि कई लोग जहां गंगा के तट पर या जलाशयों के किनारे खरना करते हैं, वहीं कई लोग अपने घर में ही विधि-विधान से खरना करते हैं। खरना को कई क्षेत्रों में 'लोहड़ा' भी कहा जाता है।
और पढ़ें: Chhath Puja 2017: ऋग्वेद में भी है छठ महापर्व की चर्चा
छठ पर्व को लेकर पूरे बिहार का माहौल भक्तिमय हो गया है। पटना सहित बिहार के शहरों से लेकर गांवों तक में छठी मइया के कर्णप्रिय और पारंपरिक गीत गूंज रहे हैं। छठ को लेकर सभी क्षेत्रों में सफाई की गई है तथा रोशनी की पुख्ता व्यवस्था की गई है।
पर्व के तीसरे दिन गुरुवार शाम व्रतधारी जलाशयों में पहुंचकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे। उल्लेखनीय है कि मंगलवार को 'नहाय-खाय' के साथ चार दिनों तक चलने वाला लोक आस्था का महापर्व छठ प्रारंभ हुआ है।
इधर, छठ को लेकर पटना के गंगा तट पर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। इस वर्ष पटना के करीब 100 गंगा घाटों और 45 तालाबों पर व्रतधारी भगवान भास्कर को अर्घ्य देंगे।
और पढ़ें: छठ पूजा 2017: इन गानों के साथ छठी मईया को करें या
पटना के गंगा तटों की सुरक्षा के लिए बड़ी संख्या में पुलिस जवानों की तैनाती की गई है और पुलिस अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गई है। इसके अलावा दो दिनों तक गंगा में निजी नौका के परिचालन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
और पढ़ें: छठ पूजा 2017: पूजन विधि, पौराणिक कथा और पर्व का महत्व
Source : IANS