Chhath parv: हठयोग से भी है छठ का संबंध, क्या आप जानते हैं यह कनेक्शन
छठ के पर्व अब विदेशों तक में लोगों को आकर्षित करने लगा है. लेकिन इसके इतिहास की तरफ जाएं तो हठयोग तक से इसके संबंध दिखाई देते हैं.
नई दिल्ली :
छठ पर्व पर आज सुबह अर्घ्य दान करके छठ का व्रत खोला गया. छठ का बिहार में विशेष सांस्कृतिक महत्व है. इसकी लोकप्रियता अब पूरे भारत में ही नहीं, विदेशों तक में है. छठ के महत्व के बारे
में अक्सर चर्चा होती है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि छठ का कनेक्शन हठ योग से भी है. इस बारे में गया जिले के रहने वाले और बिहार की संस्कृति पर कई डॉक्यूमेंट्री बना चुके धर्मवीर भारती कहते हैं कि हठ योग में पानी के अंदर काफी देर तक खड़े रहकर आसन किए जाते हैं, कभी-कभी तो रा्तभर तक. इसी तरह छठ में भी पानी के अंदर कमर तक खड़े रहकर पूजन किया जाता है.
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इसके अलावा हठ योग में लंबे समय तक कठिन व्रत करने की कई विधि हैं, इसी तरह छठ में भी करीब 24 से 36 घंटे तक कठिन व्रत किया जाता है. इससे साफ दिखाई देता है कि छठ की शुरुआत कहीं न कहीं हठ योग से भी प्रेरित हो सकती है. वहीं, लखनऊ में रहने वाले योग प्रशिक्षक निकेत सिंह इस बारे में कहते हैं कि हठ योग में तप और तितिक्षा (आध्यात्मिक उद्देश्यों के लिए कठिन स्वीकार करना) का विशेष महत्व है, वहीं छठ का व्रत में तितिक्षा को दर्शाता है. दोनों में ही व्रत और सूर्योपासना का विशेष महत्व है. इससे दोनों में कनेक्शन दिखाई देता है.
इसके अलावा अगर इतिहास के दृष्टिकोण से देखें तो कहीं-कहीं ऐसा वर्णन आता है कि हठयोग का प्रचलन गुरु गोरखनाथ और उनके शिष्यों का कारण आमजन में बढ़ा. इनका मूल क्षेत्र नेपाल और बिहार के आसपास था. वहीं, छठ की शुरुआत बहुत से लोग मिथिला से मानते हैं, जो नेपाल के पास ही है. इससे लगता है कि हठ योग की क्रियाओं का छठ में प्रभाव हो सकता है. खैर, इसकी ज्यादा और सही जानकारी के लिए अभी और रिसर्च की जरूरत है. संभवतः इस विषय पर और ज्यादा प्रकाश पड़े.
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