संतान प्राप्ति के लिए इन मंत्रों का करें जाप, जानें इनका अर्थ और लाभ 

संतान सुख के लिए आपको किन मंत्रों का जाप करना है और उनका क्या अर्थ है और कैसे आपको लाभ होगा आइए सब जानते हैं. मंत्र का अर्थ है भगवान गोविन्द (श्रीकृष्ण) को नमस्कार। इस मंत्र का जाप करने से भक्त भगवान गोविन्द की उपासना और प्रेम में लीन होता है. 

संतान सुख के लिए आपको किन मंत्रों का जाप करना है और उनका क्या अर्थ है और कैसे आपको लाभ होगा आइए सब जानते हैं. मंत्र का अर्थ है भगवान गोविन्द (श्रीकृष्ण) को नमस्कार। इस मंत्र का जाप करने से भक्त भगवान गोविन्द की उपासना और प्रेम में लीन होता है. 

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Garima Sharma
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Mantra for children

Mantra for children( Photo Credit : File photo)

संतान प्राप्ति के लिए कई लोग भगवान की पूजा करते हैं और इसमें भगवान श्रीकृष्ण और माता संतान लक्ष्मी की पूजा बहुत ही प्रसिद्ध है. इसी तरह से आप जिस भी आराध्य की पूजा करते हैं उनके मंत्रों का जाप करके आप भी अपनी इस मनोकामना की पूरा कर सकते हैं. संतान सुख के लिए आपको किन मंत्रों का जाप करना है और उनका क्या अर्थ है और कैसे आपको लाभ होगा आइए सब जानते हैं. मंत्र का अर्थ है भगवान गोविन्द (श्रीकृष्ण) को नमस्कार। इस मंत्र का जाप करने से भक्त भगवान गोविन्द की उपासना और प्रेम में लीन होता है. 

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भगवान श्रीकृष्ण:

"ॐ क्लीं गोविन्दाय नमः।"

मंत्र का अर्थ है भगवान गोविन्द (श्रीकृष्ण) को नमस्कार। इस मंत्र का जाप करने से भक्त भगवान गोविन्द की उपासना और प्रेम में लीन होता है और उनसे दिव्य शक्तियों की प्राप्ति की प्रार्थना करता है। "ॐ" एक प्रधान ब्रह्मानुसंधान मंत्र है जो सर्वशक्तिमान का प्रतिक है, "क्लीं" भगवान की शक्ति को प्रतिष्ठित करने का बीज मंत्र है, और "गोविन्दाय नमः" गोपाल का नाम से जाने जाने वाले भगवान की पूजा करते हैं। यह मंत्र भक्ति और आत्मा के साथ भगवान के संबंध को मजबूत करने का उद्देश्य रखता है.

"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।"

मंत्र का अर्थ है "ओं, हे वासुदेव, तुझे मेरा नमस्कार है." यह मंत्र भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है और इसका जाप उनकी पूजा और भक्ति के लिए किया जाता है. "वासुदेव" भगवान कृष्ण का एक नाम है जिसका अर्थ होता है "सबका उत्पत्ति होनेवाला" या "विश्व का ईश्वर". इस मंत्र का जाप भक्त को भगवान के साथ एकाग्रता और समर्पण की भावना के साथ उनकी उपासना में मदद करता है. यह भक्ति और आत्मा के साथ भगवान के संबंध को मजबूत करने का माध्यम होता है.

माता संतान लक्ष्मी:

"ॐ ह्रीं क्लीं माता संतान लक्ष्म्यै नमः।"

मंत्र का अर्थ है "ओं, ह्रीं, क्लीं, हे माता संतान लक्ष्मी, तुझे मेरा नमस्कार है।" यह मंत्र माता संतान लक्ष्मी की पूजा और आराधना के लिए किया जाता है। "ॐ" ब्रह्मा, विष्णु, और शिव का प्रतिक है, "ह्रीं" देवी की प्राकृतिक शक्ति को प्रतिष्ठित करने के लिए है, "क्लीं" भगवती की शक्ति को बढ़ावा देने के लिए है, "माता संतान लक्ष्म्यै" माता संतान लक्ष्मी को समर्पित है, और "नमः" नमस्कार के लिए है।  यह मंत्र संतान प्राप्ति, सुख, और समृद्धि की कामना के साथ जपा जाता है और माता संतान लक्ष्मी की कृपा को प्राप्त करने के लिए प्रयासरूप होता है.

"ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवी लक्ष्मी मम गर्भं धरयांतु।"

मंत्र का अर्थ है "ओं, श्रीं, ह्रीं, क्लीं, ग्लौं, हे देवी लक्ष्मी, मेरे गर्भ को धारण करें."

यह मंत्र माता लक्ष्मी की कृपा को प्राप्त करके धन, समृद्धि, और सुख की प्राप्ति के लिए किया जाता है. "ॐ" ब्रह्मा, विष्णु, और शिव का प्रतिक है, "श्रीं" लक्ष्मी की प्राकृतिक शक्ति को प्रतिष्ठित करने के लिए है, "ह्रीं" सत्य, शुद्धि, और दैहिक संतुलन के लिए है, "क्लीं" सर्व शक्तिमान को प्रतिष्ठित करने के लिए है, और "ग्लौं" गर्भवती होने की कामना को प्रकट करने के लिए है. यह मंत्र लक्ष्मी की कृपा को प्राप्त करने के लिए और सुख-शांति के साथ संतान प्राप्ति के लिए जपा जाता है.

भगवान गणेश:

"ॐ गण गणपतये नमः।"

मंत्र का अर्थ है "ओं, हे गणपति, तुझे मेरा नमस्कार है।" यह मंत्र भगवान गणेश की पूजा और आराधना के लिए किया जाता है. गणेश भगवान हिन्दू धर्म में विज्ञान, शक्ति, और सर्वागम शास्त्रों के देवता के रूप में पूजे जाते हैं। "ॐ" ब्रह्मा, विष्णु, और शिव का प्रतिक है, "गण" भक्तों के समूह को सूचित करने के लिए है, "गणपतये" गणेश के रूप में है, और "नमः" नमस्कार के लिए है. यह मंत्र शुभारंभ, सफलता, और बुद्धिमत्ता की प्राप्ति के लिए जपा जाता है और गणेश भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भक्तों द्वारा प्रिय है.

"ॐ श्रीं गम गणपतये नमः।"

मंत्र का अर्थ है "ओं, श्रीं, हे गम गणपतये, तुझे मेरा नमस्कार है।" यह मंत्र भगवान गणेश की पूजा और आराधना के लिए किया जाता है। "ॐ" ब्रह्मा, विष्णु, और शिव का प्रतिक है, "श्रीं" लक्ष्मी की प्राकृतिक शक्ति को प्रतिष्ठित करने के लिए है, "गम" गणपति का एक अन्य नाम है, और "नमः" नमस्कार के लिए है। यह मंत्र गणेश भगवान से बुद्धि, शक्ति, और सुख की प्राप्ति के लिए जपा जाता है और उनकी कृपा को प्राप्त करने के लिए भक्तों द्वारा प्रिय है.

माता पार्वती:

"ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं महेश्वर्यै नमः।"

मंत्र का अर्थ है "ओं, ह्रीं, श्रीं, क्लीं, हे महेश्वरी, तुझे मेरा नमस्कार है।"

यह मंत्र मां महेश्वरी की पूजा और आराधना के लिए किया जाता है। "ॐ" ब्रह्मा, विष्णु, और शिव का प्रतिक है, "ह्रीं" देवी की प्राकृतिक शक्ति को प्रतिष्ठित करने के लिए है, "श्रीं" लक्ष्मी की प्राकृतिक शक्ति को प्रतिष्ठित करने के लिए है, "क्लीं" सर्व शक्तिमान को प्रतिष्ठित करने के लिए है, और "महेश्वर्यै" महेश्वरी देवी को समर्पित है। यह मंत्र देवी की कृपा, शक्ति, और समृद्धि की प्राप्ति के लिए जपा जाता है और उनकी आराधना में भक्तों द्वारा प्रिय है.

"ॐ देवी पार्वत्यै च विवाह संतान प्राप्तये नमः।"

मंत्र का अर्थ है "ओं, देवी पार्वती और विवाह संतान प्राप्ति के लिए नमः।" यह मंत्र देवी पार्वती की पूजा और आराधना के लिए किया जाता है. "ॐ" ब्रह्मा, विष्णु, और शिव का प्रतिक है, "देवी पार्वत्यै" मां पार्वती को समर्पित है, "च" और, "विवाह संतान प्राप्तये" विवाह और संतान प्राप्ति के लिए है, और "नमः" नमस्कार के लिए है. यह मंत्र विवाह में सुख-शांति और संतान प्राप्ति के लिए प्रयोग किया जाता है और मां पार्वती की कृपा को प्राप्त करने के लिए भक्तों द्वारा जपा जाता है.

भगवान सूर्य:

"ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नमः।"

मंत्र का अर्थ है "ओं, ह्रां ह्रीं ह्रौं, सूर्य देवता को मेरा प्रणाम है." यह मंत्र सूर्य देवता की पूजा और आराधना के लिए किया जाता है. "ॐ" ब्रह्मा, विष्णु, और शिव का प्रतिक है, "ह्रां" सूर्य की ऊर्जा को प्रतिष्ठित करने के लिए है, "ह्रीं" सूर्य के सत्यता और तेज को प्रतिष्ठित करने के लिए है, "ह्रौं" सूर्य के सर्वोत्तम रूप को प्रतिष्ठित करने के लिए है, "स:" सूर्य को समर्पित है, और "नमः" नमस्कार के लिए है. यह मंत्र सूर्य देवता से ऊर्जा, बुद्धि, और स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए जपा जाता है और सूर्य देवता की कृपा को प्राप्त करने के लिए भक्तों द्वारा प्रिय है.

"ॐ आदित्याय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो आदित्य: प्रचोदयात्."

मंत्र का अर्थ है: "हम आदित्य भगवान को जानते हैं, हम वायुपुत्र हनुमान को ध्यान करते हैं. हमें उस आदित्य भगवान का ध्यान करने के लिए प्रेरित करें।" यह मंत्र सूर्य भगवान की स्तुति के लिए है, जिसे हम आदित्या भी कहते हैं. इस मंत्र के जप से सूर्य भगवान की कृपा, ऊर्जा, और बुद्धि मिलती है. भक्तियोग में यह मंत्र अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे सूर्य नमस्कार के समय जपा जाता है.

ध्यान रखें कि संतान प्राप्ति में कई कारगर प्रयास भी महत्वपूर्ण होते हैं, और यह सार्वजनिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सलाह भी लेनी चाहिए. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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