Chankya Niti: हर किसी को न बताएं अपना दुख, वरना बाद में पड़ सकता है पछताना

आचार्य चाणक्य अपने इस श्लोक के जरीए यह बताना चाह रहे है कि व्यक्ति को अपना दुख हर किसी को नहीं बांटना चाहिए. इस दुनिया में ऐसे बहुत कम लोग होते हैं  जो आपके दुख को अपना समझ कर समझते हैं.

आचार्य चाणक्य अपने इस श्लोक के जरीए यह बताना चाह रहे है कि व्यक्ति को अपना दुख हर किसी को नहीं बांटना चाहिए. इस दुनिया में ऐसे बहुत कम लोग होते हैं  जो आपके दुख को अपना समझ कर समझते हैं.

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Vineeta Mandal
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Chanakya Niti

Chanakya Niti( Photo Credit : (फाइल फोटो))

आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti)  की नीतियां व्यक्ति के जीवन में बेहद कारगार उपाय मानी जाती है. चाण्क्य ने अपनी नीतियों के जरीए लोगों को बहुत जरूरी और कड़ा संदेश दिया है. चाणक्य ने जीवन के हर पहलू को अपनी नीतियों में जगह दी है. चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र के जरीए पाप-पुण्य, कर्तव्य और अधर्म-धर्म के बारें में बताया है इनकी नीतियों के जरीए व्यक्ति अपने जीवन को बेहतरीन बना सकता हैं. आचार्य चाणक्य की नीतियों सालों से कारगार मानी जाती रही है. चाणक्य नीति में ऐसी कई बातें बताई गई हैं, जिनका पालन करने से आप किसी भी समस्या से बाहर आ सकते हैं. चाणक्य नीति में जीवन को सफल बनाने के लिए कई बातों का जिक्र किया गया है. यहां हम आपको चाणक्य की उन नीतियों के बारे में बताने जा रहे है, जिसकी मदद से आप अपने जीवन को सफल बना सकते हैं. 

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"अपना दर्द सबको ना बताएं, मरहम एक आधे घर में होता है और नमक घर घर में होता है" 

आचार्य चाणक्य अपने इस श्लोक के जरीए यह बताना चाह रहे है कि व्यक्ति को अपना दुख हर किसी को नहीं बांटना चाहिए. इस दुनिया में ऐसे बहुत कम लोग होते हैं  जो आपके दुख को अपना समझ कर समझते हैं. हर कोई आपके दुखों का हल नहीं खोज सकता हैं. वहीं न ही हर कोई आपके तकलीफ को समझेगा. वहीं कई लोग ऐसे होते हैं जो आपके दर्द और दुखों को सुनकर पीठ पीछे आपकी बातों का मजाक बनाएगा. इसके अलावा कई लोग आपकी तकलीफ को जानकर खुश होगा और ऐसी कड़वी बातें बोलेगा की आपका दुख और बढ़ जाएगा. भावनाओं में आकर व्यक्ति कई बार अपना दुख ऐसे व्यक्ति को बता बैठता है जो उसका शुभ चिंतक नहीं होता है। ऐसे लोग आपकी तकलीफ जानने के बाद पीठ पीछे खुश होते हैं और बातें बनाते हैं.

अक्सर इंसान जब दुखों के भार से बोझिल महसूस करने लगता है तो अपना दर्द बांटना चाहता हैं. ऐसे में वो अपने आसपास मौजूद लोगों में अपना हमदर्द खोजने लगता है जो उसके दुखों के भार को कम करें. नतीजन, वो हर किसी से अपना दुख बांटने लगता है लेकिन कई बार बहुत कम लोग ही होते हैं जो आपके समस्या को समझ पाते हैं. यही वजह है कि चाणक्य ने कहा कि अपनी तकलीफ बताने से पहले ये समझ लेना चाहिए की वाकई में सामने वाला व्यक्ति आपके दर्द को समझ पाएगा या नहीं. 

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