चाणक्य नीति: मां के गर्भ में ही तय हो जाता इंसान का भविष्य, जानें ये 5 बातें
चाणक्य के अनुसार, आयु कितनी लंबी होगी, क्या काम करेगा, कितना धन व ज्ञान प्राप्त करेगा और उसकी मृत्यु कब शामिल है. चाणक्य कहते हैं कि ये कुछ बातें ऐसी हैं जब शिशु गर्भ में होता है, तभी तय हो जाती हैं.
highlights
- व्यक्ति को आसक्ति छोड़ना होगा
- न करें दूसरों को नीचा दिखाने की कोशिश
- भविष्य के लिए व्यक्ति को रहना चाहिए तैयार
नई दिल्ली:
जीवन में हर कोई खुद चाणक्य से कम नहीं समझता, लेकिन चाणक्या नीति क्या है बहुत कम लोगों को पता है. दरअसल, आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में जीवन के कई पहलुओं का वर्णन किया है. चाणक्य की इन नीतियों को अपनाकर जीवन को सरल बनाया जा सकता है. महान राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री और शिक्षाविद चाणक्य ने अपनी नीतियों के बल पर ही चंद्रगुप्त मौर्य को मौर्य वंश का राजा बनाया था. चाणक्य की नीतियों को अपनाना भले ही कठिन माना जाता है, लेकिन कहा जाता हैं कि जिसने भी आचार्य चाणक्य की नीति को अपना लिया उसे चंद्रगुप्त की तरह सफल और कामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता है.
जीवन की सच्चाई से रूबरू करती है चाणक्य नीति
जीवन की सच्चाई से रूबरू कराने वाली नीतियों में से एक नीति में चाणक्य ने बताया है कि आखिर कौन-सी बातें मां के गर्भ में ही तय हो जाती हैं. चाणक्य कहते हैं कि इन बातों पर ही इंसान का भविष्य निर्भर करता है. चाणक्य के अनुसार, आयु कितनी लंबी होगी, क्या काम करेगा, कितना धन व ज्ञान प्राप्त करेगा और उसकी मृत्यु कब शामिल है. चाणक्य कहते हैं कि ये कुछ बातें ऐसी हैं जब शिशु गर्भ में होता है, तभी तय हो जाती हैं.
चाणक्य नीति के अनुसार, भविष्य के लिए व्यक्ति को रहना चाहिए तैयार
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति नसीब के सहारे चलते हैं वह अक्सर बर्बाद हो जाते हैं. इसलिए व्यक्ति को भविष्य के लिए तैयार रहना चाहिए. नीति शास्त्र के अनुसार, जो व्यक्ति भविष्य के लिए तैयार रहते हैं, वह किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं.
दूसरों को नीचा दिखाने की कोशिश करने वाले सम्मान नहीं पाते
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति दूसरों से जलते हैं और उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं. ऐसे व्यक्ति समाज में कभी मान-सम्मान नहीं पाते हैं. इसलिए व्यक्ति को कभी किसी को नीचा नहीं दिखाना चाहिए.
खुशहाल जीवन के लिए व्यक्ति को आसक्ति छोड़ना होगा
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो लोग अपने परिवार के लिए आसक्ति रखते हैं. वह दुख और कष्टों से घिरे रहते हैं. ऐसे में सुखी और खुशहाल जीवन के लिए व्यक्ति को आसक्ति छोड़ना होगा.
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