Chanakya Niti: 1 मंत्र 4 रहस्य, जब आचार्य चाणक्य ने दिया जीवन की सारी कठिनाइयों का बेजोड़ हल
Chanakya Niti: आज हम आपको आचार्य चाणक्य द्वारा लिखे गए उस मंत्र के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें 4 रहस्य छिपे हुए हैं जो जीवन की सारी कठिनाइयों का बेजोड़ हल हैं.
नई दिल्ली :
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की नीति हो या नीति में लिखे गए श्लोक किसी न किसी गूढ़ बात को दर्शाते हैं. इस बात में तो कोई दोराय नहीं कि चाणक्य नीति का अनुसरण न सिर्फ जीवन में सफलता का मार्ग खोल सकता है बल्कि आपको कई गंभीर परिस्थितियों से भी बाहर निकलने में मदद कर सकता है. चाणक्य नीति में लिखी हर एक बात को अगर शांत मन और बुद्धि से समझा जाए तो जीवन की हर परेशानी को हल किया जा सकता है. ऐसे में आज हम आपको आचार्य चाणक्य द्वारा लिखे गए उस मंत्र के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें 4 रहस्य छिपे हुए हैं जो जीवन की सारी कठिनाइयों का बेजोड़ हल हैं.
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श्लोक- दृष्टिपूतं न्यसेत्पादं वस्त्रपूतं जलं पिबेत्, सत्यपूतं वदेद्वाचं मनः पूतं समाचरेत्
1. इस श्लोक के जरिये आचार्य चाणक्य सबसे पहले ये समझाना चाहते हैं कि व्यक्ति को चलते समय हमेशा पैरों की ओर देखकर ही चलना चाहिए. यहां पैरों की ओर देखकर चलने से मतलब है कि मुसीबत से सावधान रहना. नीचे देखकर चलने से व्यक्ति मुसीबत से दूरी बनाए रखने में कामयाब रहता है. वहीं, अगर व्यक्ति इस बात को नजरअंदाज करता है तो उसके दुर्घटनाग्रस्त होने की सम्भावना बढ़ जाती है.
2. आचार्य के इस श्लोक के अनुसार, व्यक्ति को शारीरिक तौर पर हमेशा चुस्त-दुरुस्त रहना चाहिए. क्योंकि एक तंदरुस्त शरीर ही व्यक्ति को कुछ भी करने में समर्थ बनाता है और तंदरुस्ती के लिए सबसे उत्तम है अधिक से अधिक पानी का सेवन. हालांकि, आचार्य का ये भी मानना था की पानी छानकर पीने से अधिक लाभ मिलता है.
3. आचार्य चाणक्य का मानना है कि, कभी भी कोई भी काम किसी की देखा-देखी नहीं करना चाहिए. अगर आपको लगता है कि किसी काम को करना आपके लिए उचित है और इससे करने से आपको लाभ ही होगा तभी उस काम को करने का बेड़ा उठाएं. इसके अलावा, ये भी आवश्यक है कि आप जिस भी काम को कर रहे हैं उसे निश्चित तौर पर पूरा करें और पूर्ण मन से करें. इससे आपको पक्का सफलता हासिल होगी.
4. इस श्लोक का अगला पड़ाव है झूठ बोलना. असत्य बोलना सबसे सरल है लेकिन ये वो रास्ता है जहां आप पैर पर कुल्हाड़ी नहीं बल्कि कुल्हाड़ी पर पैर देकर मारते हैं और वो भी बुरी तरह से घायल होने तक की सीम तक. व्यक्ति झूठ पर झूठ का पहरा लगाता जाता है ये सोच की उसका रहस्य किसी के सामने अब उजागर नहीं होगा, लेकिन असल में जिसे वो झूठ के पहरा समझता है वो तो उस मिट्टी के घड़े की तरह है जो अत्यधिक जल भरने पर फूट जाता है और व्यक्ति का सारा झूठ उसका सारा राज सबके सामने खुल जाता है. इसलिए जितना हो सके झूठ बोलने से बचना चाहिए.
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