Chanakya Niti: जीवन में न करें ये चीज वरना ताउम्र दुखों के साए में जीना पड़ेगा
चाणक्य ने लिखा है, 'खुद का अपमान कराके जीने से तो अच्छा मर जाना है क्योंकि प्राणों के त्यागने से केवल एक ही बार कष्ट होता है पर अपमानित होकर जीवित रहने से आजीवन दुख होता है.'
नई दिल्ली:
आचार्य चाणक्य की नीति बहुत कठोर मानी जाती है लेकिन वो हमेशा जीवन की सच्चाई लिखा करते थे. चाणक्य नीति व्यक्ति को सफल बनाने में भी बहुत मददगार होती है. हर व्यक्ति को इन नीतियों को अपने जीवन में लागू करना चाहिए. चाणक्य की नीतियां जीवन के रास्ते में बहुत मददगार साबित होती है. हालांकि इन द्वारा लिखे गए कई विचारों का कई लोग विरोध भी करते हैं. लेकिन आचार्य चाणक्य ही थे जिन्होंने चन्द्रगुप्त मौर्य को राजा बनाकर सिंहासन पर विराजित करवाया था. आचार्य चाणक्य एक महान राजनीतिज्ञ और कूटनीतिज्ञ थे. यहीं वजह है कि चाणक्य की नीतियों को लोग अपनाकर अपने जीवन को आसान और सरल बनाते हैं.
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चाणक्य ने लिखा है, 'खुद का अपमान कराके जीने से तो अच्छा मर जाना है क्योंकि प्राणों के त्यागने से केवल एक ही बार कष्ट होता है पर अपमानित होकर जीवित रहने से आजीवन दुख होता है.'
चाणक्य के इस कथन के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति अपना अपमान या बेईज्जती करवा रहा है तो उससे बुरा कुछ भी नहीं है. दरअसल, अपना अपमान कराकर कोई भी व्यक्ति सुकून में नहीं रह सकता है. उसे ये अपमान हर दिन तिल-तिल कर के मारेगा. अर्थात वो व्यक्ति जीवन भर दुख के साए में जीता रहेगा. उसका पूरा जीवन उस अपमान के साए में रहेगा. व्यक्ति का अपमानित जीवन बहुत ही तकलीफ से भरा होता है. आचार्य का मानना है कि प्राण त्यागने से केवल एक बार ही कष्ट होता है लेकिन अपमानित भरे जीवन में ताउम्र तकलीफ होता है.
कई बार ऐसा होता है कि बहुत से लोग दूसरों का अपमान करते रहते हैं. कुछ लोगों की आदत हो जाती है हर दिन किसी न किसी का अपमान करने की. अगर आपके साथ भी रोज कोई ऐसा व्यवहार करता है तो आप उसका कड़ा विरोध दर्ज करते हुए जवाब जरूर दें. दूसरों को नीचा दिखाने वाले को अगर वक्त पर जवाब नहीं दिया जाए तो वो अपनी सीमा भूल जाते हैं. अगर आपको भी कोई जानकर परेशान या अपमानित कर रहा है तो आप चुप न रहें. यदि आपने एक बार उस व्यक्ति को जवाब दे दिया तो वो दोबारा आपको बुरा बोलने से पहले कई दफा सोचेगा.
चाणक्य के अनुसार, हर व्यक्ति को अपने स्वाभिमान की रक्षा करनी चाहिए. स्वाभिमान रहना हर व्यक्ति के लिए बेहद जरूरी होता है. वहीं अपमान का कड़वा घूट पीकर जिंदा रहने से अच्छा है आप उसे उसी समय जवाब देकर राहत महसूस करें. यही वजह है कि आचार्य चाणक्य ने कहा है खुद का अपमान कराके जीने से तो अच्छा मर जाना है क्योंकि प्राणों के त्यागने से केवल एक ही बार कष्ट होता है पर अपमानित होकर जीवित रहने से आजीवन दुख होता है.
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