चाणक्य नीति: दौलत ही व्यक्ति का सच्चा दोस्त, ये काम करने पर बरसेगा पैसा
आचार्य चाणक्य की अर्थनीति, कूटनीति और राजनीति विश्वविख्यात है. हर एक को प्रेरणा देने वाली है. आचार्य चाणक्य ने जो भी योजनाएं अमल में लाई उन पर पूरा शोधकार्य किया था.
highlights
- चाणक्य नीति के अनुसार, कांटों और दुष्ट लोगों से बचाव के दो तरीके हैं.
- 'व्यक्ति धन-दौलत खो देता है तो उसके सगे-संबंधी छोड़कर चले जाते हैं'
- 'चाणक्य कहते हैं कि प्रेम वह सत्य है जो दूसरों के लिए किया जाता है'
नई दिल्ली:
आचार्य चाणक्य तक्षशिला के चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु और सलाहकार थे. आचार्य चाणक्य की अर्थनीति, कूटनीति और राजनीति विश्वविख्यात है. हर एक को प्रेरणा देने वाली है. आचार्य चाणक्य ने जो भी योजनाएं अमल में लाई उन पर पूरा शोधकार्य किया था. वास्तविक स्थिति को जान और समझकर रणनीति तैयार की. तो वहीं, आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र के जरिए जीवन से जुड़ी कुछ समस्याओं का समाधान बताया है. चाणक्य ने नीति शास्त्र में जीवन को बेहतर बनाने के तरीके के साथ ही दुष्ट लोगों से बचने के उपाय भी बताए हैं.
1. चाणक्य नीति के अनुसार, कांटों और दुष्ट लोगों से बचाव के दो तरीके हैं. पहला कांटों से बचने के लिए पैर में जूते पहनो और दुष्ट व्यक्ति को इतना शर्मसार कर दो कि वह सिर न उठा सके और आपसे दूरी बना लें.
2. चाणक्य कहते हैं कि जब व्यक्ति धन-दौलत खो देता है तो उसके सगे-संबंधी मित्र, नौकर और पत्नी तक छोड़कर चले जाते हैं. धन के वापस आने पर यह सभी वापस आ जाते हैं. चाणक्य ने धन को ही सच्चा मित्र या रिश्तेदार बताया है.
3. चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति अस्वच्छ वस्त्र धारण करता है और कठोर शब्दों को बोलता है. सूर्योदय के बाद उठने वाले व्यक्ति पर मां लक्ष्मी की कभी कृपा नहीं बरसती है. इसलिए हमेशा साफ वस्त्र धारण करने चाहिए और मधुर वाणी बोलने के साथ सूर्योदय से पू्र्व उठना चाहिए.
4. चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को कभी भी अपने संस्कार और गुणों से मुख नहीं मोड़ना चाहिए. नीति शास्त्र के अनुसार, चंदन कट जाने के बाद भी महक नहीं छोड़ता है. हाथी बूढ़ा होने के बाद भी अपनी लीला नहीं छोड़ता है. गन्ना निचोड़े जाने के बाद भी अपनी मिठास कम नहीं करता है. इसी तरह से एक अच्छा व्यक्ति अपने गुणों व संस्कारों को कभी नहीं छोड़ता है.
5. चाणक्य कहते हैं कि प्रेम वह सत्य है जो दूसरों के लिए किया जाता है. खुद से जो होता है उसे प्रेम नहीं कहते हैं. ठीक इसी तरह बिना दिखावे के किया जाने वाला दान ही असल दान होता है.
(नोट : इस लेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं)
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