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चाणक्य नीति: कभी न करें ये तीन काम, मान-सम्मान में होगी भारी कमी

चाणक्य नीति का संस्कृत-साहित्य में नीतिपरक ग्रन्थों की श्रेणी में महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है. आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति शास्त्र में सफलता पाने के सुझाव और सूत्र नीतियों के रूप में बताए हैं. 

Updated on: 08 Jun 2021, 11:00 AM

दिल्ली :

आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti) की अर्थनीति, कूटनीति और राजनीति विश्वविख्यात है, जो हर एक को प्रेरणा देने वाली है. चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु और सलाहकार आचार्य चाणक्य के बुद्धिमत्ता और नीतियों से ही नंद वंश को नष्ट कर मौर्य वंश की स्थापना की थी. आचार्य चाणक्य ने ही चंद्रगुप्त को अपनी नीतियों के बल पर एक साधारण बालक से शासक के रूप में स्थापित किया. अर्थशास्त्र के कुशाग्र होने के कारण इन्हें कौटिल्य कहा जाता था. आचार्य चाणक्य द्वारा रचित चाणक्य नीति शास्त्र एक ग्रंथ है. आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र के जरिए जीवन से जुड़ी समस्याओं का समाधान बताया है.

चाणक्य नीति का संस्कृत-साहित्य में नीतिपरक ग्रन्थों की श्रेणी में महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है. आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति शास्त्र में सफलता पाने के सुझाव और सूत्र नीतियों के रूप में बताए हैं. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिन काम को सही मंशा से न किया जाए यानी जिसमें दूसरों का अहित छिपा होता है वो काम सही नहीं होता है. जानिए ये कौन से हैं ये तीन काम-

बुराई न करें- झूठ ज्यादा दिनों तक टिका नहीं रह सकता. कहा जाता है कि झूठ के पांव नहीं होते हैं, ऐसे में एक दिन झूठ सामने आ ही जाता है. अगर आप किसी से झूठ बोलकर लाभ लेते हैं तो सच सामने आने पर आप अपना मान-सम्मान खो बैठते हैं. ऐसे लोगों को कोई पसंद नहीं करता है. मान-सम्मान की रक्षा के लिए व्यक्ति को हमेशा सच बोलना चाहिए

दूसरों से ईर्ष्या न करें : चाणक्य कहते हैं कि अक्सर लोग आदतवश दूसरों में कमियां निकालते हैं. इसलिए ऐसे लोद जब भी किसी के साथ बैठते हैं तो दूसरों की बुराई करते हैं. ये लोग दूसरों की तरक्की और खुशियों से भी जलते हैं. ऐसे में ये दूसरों की बुराई कर उनका मान-सम्मान गिराने की कोशिश करते हैं. हालांकि ये ऐसा करके खुद के मान-सम्मान में कमी लाते हैं.

धन का सही इस्तेमाल : चाणक्य कहते हैं कि धन का सही इस्तेमाल करना चाहिए. अगर धन को गलत कामों में लगाएंगे तो एक दिन आपका अहित होगा. धन के गलत इस्तेमाल से एक दिन आप अपना मान-सम्मान तक खो सकते हैं. इसलिए व्यक्ति को हमेशा अच्छे कर्म करने चाहिए.