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Chanakya Niti: मनुष्य इन चीजों को लेकर करे संतोष, नहीं तो जीवन में होंगे बहुत कष्ट

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) का कहना है कि मनुष्य को कुछ चीजों के लिए संतोष करना चाहिए. उनका कहना है कि अगर कोई व्यक्ति इन चीजों में असंतोष रहता है तो उनका जीवन कष्टकारी रहेगा.

Updated on: 02 May 2021, 03:17 PM

highlights

  • अगर किसी व्यक्ति की पत्नी उसके मन के मुताबिक नहीं हो तो भी उस व्यक्ति को संतोष करना चाहिए
  • जितना धन हो उसमें संतोष करना चाहिए, ज्यादा धन के लालच में कोई भी गलत काम नहीं करना चाहिए 

नई दिल्ली :

Chanakya Niti: मनुष्य की प्रवृत्ति सामान्ततौर पर संतोष करने की नहीं होती है. मनुष्य को जितना भी मिल जाए उसकी इच्छाएं बढ़ती ही जाती हैं और रोजाना ज्यादा से ज्यादा पाने की चेष्टा करता रहता है. आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) का कहना है कि मनुष्य को कुछ चीजों के लिए संतोष करना चाहिए. उनका कहना है कि अगर कोई व्यक्ति इन चीजों में असंतोष रहता है तो उनका जीवन कष्टकारी रहेगा. हालांकि उनका कहना है कि कुछ जगहों पर असंतोष जरूरी है. जानकारी के मुताबिक चाणक्य नीति के तेरहवें अध्याय के 19वें श्लोक में आचार्य चाणक्य (Chankya Niti Thoughts) ने कहा है कि किन चीजों में संतोष करें या फिर किन चीजों में संतोष नहीं करना चाहिए.

संतोषषस्त्रिषु कर्तव्यः स्वदारे भोजने धने
त्रिषु चैव न कर्तव्यो अध्ययने जपदानयोः

आचार्य चाणक्य का कहना है कि अगर किसी व्यक्ति की पत्नी उसके मन के मुताबिक नहीं हो तो भी उस व्यक्ति को संतोष करना चाहिए.  कुछ भी हो जाए उस पुरुष को दूसरी स्त्रियों के पीछे नहीं जाना चाहिए. उनका कहना है कि ऐसा करने पर उस पुरुष का जीवन बर्बाद हो जाता है. किसी पुरुष को स्त्री की अंदर के गुणों को देखना चाहिए ना कि बाहरी सुंदरता को. उनका कहना है कि एक सुशील पत्नी किसी भी व्यक्ति के जीवन को खुशहाल बना सकती है.

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चाणक्य के अनुसार मनुष्य को सभी भोजन को प्रसाद समझकर ग्रहण करना चाहिए. उनका कहना है कि दुनिया में कई लोग ऐसे होतें हैं कि जिन्हें भोजन नहीं मिल पाता है. ऐसे में जब भी किसी के मन में भोजन के बारे में खराब विचार आए तो उन लोगों के बारे में जरूर सोचना चाहिए. उनका कहना है कि व्यक्ति के पास जितना धन हो उसमें उसे संतोष करना चाहिए. चाणक्य कहते हैं कि ज्यादा धन के लालच में कोई भी गलत काम नहीं करना चाहिए और दूसरे के धन पर भी नजर नहीं रखनी चाहिए. आपके पास जितना भी धन है उसमें संतोष करना चाहिए और आय के अनुसार ही खर्च करना चाहिए. वहीं कुछ चीजों में चाणक्य ने असंतोष रखने को भी कहा है. उनका कहना है कि दान, अध्ययन और जप में कभी भी संतोष नहीं करना चाहिए. उनका कहा कहना है कि इन चीजों में कोई व्यक्ति जितना असंतोष करेंगे उतना ही पुण्य संचय करेंगे और मान सम्मान हासिल करेंगे.