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Chanakya Niti: सेहतमंद जीवन में छिपा है सफलता की कुंजी का राज, ऐसे रखें खुद को स्वस्थ

चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य अगर स्वस्थ है तो वो हर मुकाम हासिल कर सकता है.  यही वजह है कि हर किसी को सबसे पहले अपने सेहत पर ध्यान देना चाहिए. आचार्य चाणक्य ने अपने कुछ श्लोक के जरीए लोगों को बताया है कि किस तरह का भोजन इंसान को सेहतमंद रख सकता है. 

Updated on: 26 Apr 2021, 08:54 AM

नई दिल्ली:

अगर किसी व्यक्ति को जीवन में सफल और सुखी रहना है तो उसे चाणक्य नीति को अपनाना चाहिए. आचार्य चाणक्य की नीतियां बेहद कठोर मानी जाती है लेकिन ये जीवन की सच्चाई होती है. चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र के जरीए पाप-पुण्य, कर्तव्य और अधर्म-धर्म के बारें में बताया है इनकी नीतियों के जरीए व्यक्ति अपने जीवन को बेहतरीन बना सकता हैं. आचार्य चाणक्य की नीतियों सालों से कारगार मानी जाती रही है. वहीं चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य अगर स्वस्थ है तो वो हर मुकाम हासिल कर सकता है.  यही वजह है कि हर किसी को सबसे पहले अपने सेहत पर ध्यान देना चाहिए. आचार्य चाणक्य ने अपने कुछ श्लोक के जरीए लोगों को बताया है कि किस तरह का भोजन इंसान को सेहतमंद रख सकता है. 

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आचार्य चाणक्य कहते हैं कि स्वस्थ सेहत और निरोगी काया के लिए हफ्ता में एकबार पूरे शरीर की मालिश जरूर करें. इससे रोम छिद्र खुल जाते हैं और अंदर की गंदगी बाहर निकल जाती है. वहीं मालिश के बाद स्नान अवश्य ही करना चाहिए.

चूर्ण दश गुणो अन्न ते, ता दश गुण पय जान।

पय से अठगुण मांस ते तेहि दशगुण घृत मान॥

आचार्य के इस श्लोक के अनुसार, खड़े अन्न की तुलना में पीसा हुआ अन्न ज्यादा पौष्टिक होता है. पिसे हुए अन्न से 10 गुना ज्यादा फायदेमंद दूध होता है. दूध से 10 गुना मांस पौष्टिक होता है और मांस से 10 गुना पौष्टिक घी होता है.

गुरच औषधि सुखन में भोजन कहो प्रमान।

चक्षु इंद्रिय सब अंश में, शिर प्रधान भी जान॥

इस श्लोक का अर्थ है कि औषधियों में गिलोय प्रधान हैं. सब सुखों में भोजन प्रधान है तात्पर्य किसी भी प्रकार का सुख हो लेकिन सबसे ज्यादा सुख भोजन करने में आता है. शरीर की सभी इंद्रियों में आंखें प्रधान हैं और सभी अंगों में मस्तिष्क प्रधान है.

अजीर्णे भेषजं वारि जीर्णे वारि बलप्रदम्।

भोजने चामृतं वारि भोजनान्ते विषप्रदम्।।

चाणक्य के इस श्लोक के मुताबिक, भोजन पचने के करीब आधे से एक घंटे बाद पानी पीना शरीर के लिए फायदेमंद माना गया है. भोजन के बीच में बहुत थोड़ा पानी पीना अमृत के समान माना गया है. वहीं भोजन के तुरंत बाद पानी का सेवन विष के समान होता है.