Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की वो 5 सीख जो आसानी से निकाल सकती हैं आपको भयंकर परेशानियों के भंवर से

Chanakya Niti: चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र (Niti Shastra) में करियर, दोस्ती, दाम्पत्य जीवन, धन-संपत्ति और स्त्री से जुड़ी कई बातों का उल्लेख किया है. उनकी नीतियों का एक अद्भुत संग्रह भी है. जो आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना जब इसे लिखा गया था.

Chanakya Niti: चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र (Niti Shastra) में करियर, दोस्ती, दाम्पत्य जीवन, धन-संपत्ति और स्त्री से जुड़ी कई बातों का उल्लेख किया है. उनकी नीतियों का एक अद्भुत संग्रह भी है. जो आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना जब इसे लिखा गया था.

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Gaveshna Sharma
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Chanakya Niti

यकीन मानिए आपकी हर मुश्किल की काट हैं ये 5 सीख ( Photo Credit : Social Media)

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य को अर्थशास्‍त्र और नीतिशास्‍त्र का जनक माना जाता है. उन्होंने अपने ज्ञान और नीतियों से इतिहास की धारा को ही बदल कर रख दिया. उन्होंने जीवन जीने के भी कई पहलुओं के बारे में बताया है. नीति ग्रंथ यानी चाणक्य नीति में मनुष्य के जीवन को सरल और सफल बनाने से जुड़ी कई बातों का उल्लेख मिलता है. चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र (Niti Shastra) में करियर, दोस्ती, दाम्पत्य जीवन, धन-संपत्ति और स्त्री से जुड़ी कई बातों का उल्लेख किया है. उनकी नीतियों का एक अद्भुत संग्रह भी है. जो आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना जब इसे लिखा गया था. ऐसे में आज हम आपको आचार्य चाणक्य की उन 5 सीखों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका अनुसरण व्यक्ति को हर कठिन पड़ाव से बाहर ले आने में सक्षम है.

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- आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति में बताया है कि सच्चा साथी वही होता है जो विपरीत परिस्थितियों में भी आपके साथ रहे. आचार्य के अनुसार नौकर को परखना हो तो तब परखें जब आपका बुरा समय आए. आपका नौकर वफादार होगा तो आपके बुरे समय में भी साथ निभाएगा.  रिश्तेदारों को तब परखना चाहिए जब आप मुश्किलों से घिर गए हों, मित्र को तब परखना चाहिए जब आप पर संकट आया हो और विपदा के समय आपको अपनी पत्नी को परखना चाहिए.

- आचार्य ने कहा है कि अगर आप वाकई अपनी और अपने कुल की सफलता और नाम चाहते हैं, तो शिक्षा लें और बच्चों को भी शिक्षित बनाएं. शिक्षा व्यक्ति को शिष्टाचार सिखाती है. सही और गलत में भेद करना बताती है. अगर आप सही और गलत में अंतर करना सीख गए, तो जीवन में कोई भी फैसला सोच समझकर लेंगे और लोगों के हित में लेंगे. ऐसे में आपके कर्म आपको मान और प्रतिष्ठा के साथ सफलता भी दिलाएंगे.

- आचार्य का कहना था कि हमेशा रहने का स्थान सोच समझकर चुनें. उस स्थान पर मकान खरीदें या बनवाएं जहां आपका सम्मान हो, नौकरी के साधन मौजूद हों, आपके मित्र आसपास रहते हों और अस्पताल व बच्चों की शिक्षा के लिए स्कूल आसपास हों.  ऐसे स्थानों पर आपको सफलता के तमाम अवसर मिलते हैं, जीवन सुगम हो जाता है और किसी भी मुश्किल स्थिति में आप आसानी से पार पा सकते हैं.

- जीवन की प्राथमिकता को लेकर आचार्य ने कहा है कि  मनुष्य को धन की बचत करनी चाहिए क्योंकि जब अपने भी साथ छोड़ देते हैं, तब भी धन आपके काम आता है. लेकिन जब बात पत्नी की सुरक्षा की हो, तो धन का लालच छोड़कर पत्नी की रक्षा करनी चाहिए. जब बात आपके आत्मसम्मान की हो, तो धन और पत्नी समेत हर चीज त्यागने में भी संकोच नहीं करना चाहिए. जिस व्यक्ति का आत्मसम्मान खो जाता है, उसका जीवन जिंदा लाश की तरह होता है.

- दुष्ट पत्नी, झूठा मित्र, धूर्त सेवक और सर्प इन चार चीजों पर कभी दया न करें. ये आपके जीवन के लिए बहुत बड़ा खतरा बन सकती हैं. अगर आप इनके साथ संबन्ध बनाए रखने का प्रयास करेंगे तो अपने लिए आप स्वयं आने वाली मुसीबत को न्योता देंगे. इनके साथ रहना मृत्यु को गले लगाने जैसा है.

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