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चाणक्य नीति : ये 3 चीजें मनुष्य के काबीलियत को कर देती है खत्म, रहें हमेशा दूर

आचार्य चाणक्य ने ही चंद्रगुप्त को अपनी नीतियों के बल पर एक साधारण बालक से शासक के रूप में स्थापित किया. अर्थशास्त्र के कुशाग्र होने के कारण इन्हें कौटिल्य कहा जाता था.

आचार्य चाणक्य ने ही चंद्रगुप्त को अपनी नीतियों के बल पर एक साधारण बालक से शासक के रूप में स्थापित किया. अर्थशास्त्र के कुशाग्र होने के कारण इन्हें कौटिल्य कहा जाता था.

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Avinash Prabhakar
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Acharya Chankya

आचार्य चाणक्य( Photo Credit : File )

आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti) की अर्थनीति, कूटनीति और राजनीति विश्वविख्यात है, जो हर एक को प्रेरणा देने वाली है. चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु और सलाहकार आचार्य चाणक्य के बुद्धिमत्ता और नीतियों से ही नंद वंश को नष्ट कर मौर्य वंश की स्थापना की थी. आचार्य चाणक्य ने ही चंद्रगुप्त को अपनी नीतियों के बल पर एक साधारण बालक से शासक के रूप में स्थापित किया. अर्थशास्त्र के कुशाग्र होने के कारण इन्हें कौटिल्य कहा जाता था. आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र के जरिए जीवन से जुड़ी समस्याओं का समाधान बताया है.

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आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अहंकार, क्रोध और लालच इंसान की काबीलियत खा जाती है

आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य को तीन चीजें खत्म कर सकती हैं. ये तीन चीजें अहंकार, क्रोध और लालच है. ये तीनों चीजें मनुष्य की काबीयिलत को धीरे-धीरे पूरी तरह से नष्ट कर देती हैं. यहां तक कि उनकी सोचने और समझने की शक्ति तक खत्म हो जाती है. जब ये तीनों चीजें उसके ऊपर हावी हो जाती हैं तो मनुष्य उन चीजों के वशीभूत होकर वही सोचता और समझता है जो उसके लिए ठीक नहीं है.

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जब भी मनुष्य के अंदर अहंकार आता है तो वो सबसे पहले उसकी बुद्धि और बातचीत करने के तरीके को बदल देता है.  दूसरा है क्रोध। क्रोध की वजह से मनुष्य अपनी जीभ पर सबसे पहले कंट्रोल खो देता है. वो गुस्से में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल कर देता है जो जीवनभर के लिए दुखदायी हो जाते हैं. आचार्य चाणक्य मानते हैं कि लालच इंसान के लिए सबसे बड़ा अवगुण है. अगर इंसान के अंदर लालच आ जाता है तो वो उससे कोई सा भी काम करवा सकता है. लालच के वश में आकर मनुष्य को कोई भी हद पार कर सकता है.

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अगर इन चीजों में से एक भी अवगुण मनुष्य के अंदर आ गई तो उसकी काबीलियत का खात्मा निश्चित है. ऐसा मनुष्य ना तो किसी का प्रिय होता है और ना ही परिवार का साथ उसे मिलता है. ऐसा मनुष्य अपने जीवन में सिर्फ और सिर्फ अकेला ही रह जाता है. इसी वजह से आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अहंकार, क्रोध और लालच इंसान की काबीलियत खा जाती है.  

Source : News Nation Bureau

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