Chaitra Navratri: चैत्र नवरात्रि का छठा दिन, ये है मां कात्यायनी की पूजा करने की सही विधि, ऐसे लगाएं भोग

Chaitra Navratri: चैत्र नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन मां कात्यायनी की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है.

Chaitra Navratri: चैत्र नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन मां कात्यायनी की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है.

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Nidhi Sharma
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Chaitra Navratri 2025

Chaitra Navratri 2025 Photograph: (Social Media)

Chaitra Navratri: चैत्र नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. मां कात्यायनी का जन्म महर्षि कात्यायन के घर पर हुआ था, इसलिए इनका नाम कात्यायनी पड़ा. इस दिन मां की पूजा-अर्चना करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है. माता ने इसी स्वरूप में महिषासुर दानव का वध किया था. इसके बाद से मां कात्यायनी को महिषासुरमर्दिनी के नाम से जाना गया. माता कात्यायनी की पूजा अर्चना करने से सभी रोग व कष्ट दूर होते हैं और मां हर मनोकामना को पूरा करती हैं. आइए जानते हैं मां कात्यायनी की पूजा, मंत्र और भोग के बारे में.

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माता का स्वरूप

माता कात्यायनी के स्वरूप का ध्यान कर ले ने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उनके आसपास सकारात्मक ऊर्जा का माहौल बन जाता है. माता कात्यायनी का रंग स्वर्ण के जैसे चमकीला है और उनकी चार भुजाएं भी हैं. माता के दाएं हाथ की ऊपर वाली भुजा अभय मुद्रा में है और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है. वहीं बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में तलवार है, तो नीचे वाले हाथ में कमल का फूल है. 

मां कात्यायनी का प्रिय रंग 

मां कात्यायनी को लाल रंग बेहद प्रिय है. इस दिन भक्त लाल रंग पहन कर माता रानी की पूजा करें और उन्हें लाल फल, लाल फूल अर्पित करें. 

पूजा करने की विधि 

मां कात्यायनी की पूजा करने के लिए सुबह स्नान आदि करने के बाद आप अपने मंदिर की सफाई करें और मां कात्यायनी का ध्यान लगाते हुए उनके चरणों में फूल अर्पित करें. इसके बाद माता को अक्षत, कुमकुम और सोलह श्रृंगार अर्पित करें. मां को जल अर्पित करके दुर्गा चालीसा व दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. 

पूजा का शुभ मुहूर्त

मां कात्यायनी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजकर 02 मिनट पर प्रारंभ होगा और पूरे दिन रहेगा. 

मां कात्यायनी का पूजा मंत्र 

चन्द्रहासोज्जवलकरा, शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्यात, देवी दानवघातिनी।।

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।

ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।

मां कात्यायनी का प्रिय भोग

मां कात्यायनी को शहद या हलवे का भोग लगाना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि महिषासुर से युद्ध में देवतागण हार गए थे, फिर सभी देवताओं ने माता से कष्टों को दूर करने के लिए प्रार्थना की. मां ने महिषासुर से भीषण युद्ध किया था. इस युद्ध की थकावट मिटाने के लिए मां ने शहद युक्त पान का सेवन किया था.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

 

 

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