Maa Siddhidatri: महानवमी पर जानें मां सिद्धिदात्री की पूजा की सही विधि, क्या होता है इसका महत्व

Maa Siddhidatri: मां सिद्धिदात्री के पूजन से भक्तों को ज्ञान, शक्ति, संपदा, विजय और मोक्ष की प्राप्ति होती है. उनकी कृपा से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और उन्हें आशीर्वाद मिलता है.

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Inna Khosla
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Maa Siddhidatri Importance and puja vidhi

Maa Siddhidatri( Photo Credit : News Nation)

Maa Siddhidatri: मां सिद्धिदात्री नवरात्रि के नौवें दिन की देवी हैं. इनका नाम सिद्ध और दात्री (देने वाली) शब्दों से मिलकर बना है. मां सिद्धिदात्री को ज्ञान, शक्ति, संपदा और विजय की देवी माना जाता है. इनकी पूजा करने से भक्तों को ज्ञान, शक्ति, संपदा, विजय और मोक्ष की प्राप्ति होती है. मां सिद्धिदात्री नवरात्रि के नौवें और अंतिम दिन की देवी हैं, जो अपने भक्तों को सिद्धियाँ और आशीर्वाद प्रदान करती हैं. इस दिन को विशेष उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है. मां सिद्धिदात्री का नाम उनके द्वारा दी जाने वाली सिद्धियों के कारण है. उन्हें पूजन करने से भक्तों को सफलता, समृद्धि, और आनंद की सिद्धि होती है. पूजा के दौरान, भक्तों ने सजीव रूप से माँ सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है. ध्यान, मंत्र जाप, और कीर्तन के माध्यम से उनकी महिमा की प्रशंसा की जाती है. मां सिद्धिदात्री के पूजन से भक्तों को जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है. उनकी कृपा से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और उन्हें आशीर्वाद मिलता है. आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाए, मां सिद्धिदात्री का पूजन भक्तों को मन की शांति, ध्यान, और आनंद का अनुभव कराता है. वे उनकी शक्ति और प्रेम के साथ जीवन में नई ऊर्जा का अनुभव करते हैं. मां सिद्धिदात्री के पूजन से नवरात्रि का उत्सव समाप्त होता है और भक्तों को नया आत्मविश्वास और सकारात्मकता का अहसास होता है. वे नई शुरुआत के साथ जीवन में आगे बढ़ते हैं.

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मां सिद्धिदात्री का महत्व

मां सिद्धिदात्री ज्ञान और शक्ति की देवी हैं. इनकी पूजा करने से भक्तों को ज्ञान और शक्ति प्राप्त होती है. मां सिद्धिदात्री संपदा की देवी भी हैं. इनकी पूजा करने से भक्तों को धन-धान्य और ऐश्वर्य प्राप्त होता है. मां सिद्धिदात्री विजय की देवी हैं. इनकी पूजा करने से भक्तों को अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है. ये मोक्ष की देवी भी हैं. इनकी पूजा करने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. 

मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि 

सबसे पहले, पूजा स्थान को साफ और शुद्ध करें. कलश को पूजा स्थान पर रखें. मां सिद्धिदात्री की प्रतिमा या तस्वीर को स्नान कराकर, स्वच्छ वस्त्र पहनाकर और श्रृंगार करके पूजा स्थान पर स्थापित करें. दीपक, धूप-बत्ती, नैवेद्य, पुष्प, सुपारी, फल, पान, तांबे का लोटा, सुगंध, वस्त्र आदि पूजा सामग्री इकट्ठा करें. मां सिद्धिदात्री की प्रतिमा या तस्वीर को जल, दूध, गंगाजल और पंचामृत से स्नान कराएं. मां सिद्धिदात्री को सिंदूर, हल्दी, मेहंदी, पीले वस्त्र, आभूषण आदि से श्रृंगार करें. मां सिद्धिदात्री को हलवा, पूरी, खीर, चने और फल जैसे भोग अर्पित करें. मां सिद्धिदात्री को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण) अर्पित करें. मां सिद्धिदात्री को तांबे के लोटे में जल अर्पित करें.  मां सिद्धिदात्री के समक्ष घी या तेल का दीपक जलाएं, धूप और बत्ती से आरती करें. मां सिद्धिदात्री के मंत्रों का जाप करके उनकी आरती गाएं.  मां सिद्धिदात्री से अपनी मनोकामनाएं प्रार्थना करें. अपने किए गए पापों के लिए क्षमा मांगें. मां सिद्धिदात्री से आशीर्वाद प्राप्त करें.

व्रत का पारण

नवमी तिथि के दिन सूर्यास्त के बाद ही व्रत का पारण करें. हलके और सात्विक भोजन का सेवन करें. दान-पुण्य करना शुभ माना जाता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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Source : News Nation Bureau

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