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Maa Katyayani Ki Aarti: चैत्र नवरात्रि के छठवें दिन जरूर पढ़ें ये आरती, मां कात्यायनी करेंगी कल्याण

Maa Katyayani Ki Aarti: शास्त्रों के अनुसार, मां कात्यायनी की पूजा आरती के बिना अधूरी मानी जाती है. ऐसे में नवरात्रि के छठवें दिन पूजा के बाद आपको ये आरती जरूर पढ़नी चाहिए. यहां पढ़ें मां कात्यायनी की सम्पूर्ण आरती.

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Sushma Pandey
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Maa Katyayani Ki Aarti

Maa Katyayani Ki Aarti( Photo Credit : social media )

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Maa Katyayani Ki Aarti: चैत्र नवरात्रि के छठवें दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. इनका स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है.मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्ति, ज्ञान, वैभव और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. मां कात्यायनी की उपासना विवाह में आ रही बाधाएं भी दूर हो जाती हैं. इनका स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है. इनकी चार भुजाएं हैं.  बायें हाथ में कमल और तलवार व दाहिनें हाथों में स्वास्तिक व आशीर्वाद की मुद्रा अंकित है. इनकी सवारी शेर है. शास्त्रों के अनुसार, मां कात्यायनी की पूजा आरती के बिना अधूरी मानी जाती है. ऐसे में नवरात्रि के छठवें दिन पूजा के बाद आपको ये आरती जरूर पढ़नी चाहिए. यहां पढ़ें मां कात्यायनी की सम्पूर्ण आरती.

मां कात्यायनी की आरती (Maa Katyayani Ki Aarti)

जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।

जय जगमाता, जग की महारानी।

बैजनाथ स्थान तुम्हारा।

वहां वरदाती नाम पुकारा।

कई नाम हैं, कई धाम हैं।

यह स्थान भी तो सुखधाम है।

हर मंदिर में जोत तुम्हारी।

कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।

हर जगह उत्सव होते रहते।

हर मंदिर में भक्त हैं कहते।

कात्यायनी रक्षक काया की।

ग्रंथि काटे मोह माया की।

झूठे मोह से छुड़ाने वाली।

अपना नाम जपाने वाली।

बृहस्पतिवार को पूजा करियो।

ध्यान कात्यायनी का धरियो।

हर संकट को दूर करेगी।

भंडारे भरपूर करेगी।

जो भी मां को भक्त पुकारे।

कात्यायनी सब कष्ट निवारे।

मां कात्यायनी स्तोत्र (Maa Katyayani Stotram)

कञ्चनाभां वराभयं पद्मधरा मुकटोज्जवलां।

स्मेरमुखी शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोऽस्तुते।।

पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्।

सिंहस्थिताम् पद्महस्तां कात्यायनसुते नमोऽस्तुते।।

परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।

परमशक्ति, परमभक्ति, कात्यायनसुते नमोऽस्तुते।।

विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।

विश्वाचिन्ता, विश्वातीता कात्यायनसुते नमोऽस्तुते।।

कां बीजा, कां जपानन्दकां बीज जप तोषिते।

कां कां बीज जपदासक्ताकां कां सन्तुता।।

कांकारहर्षिणीकां धनदाधनमासना।

कां बीज जपकारिणीकां बीज तप मानसा।।

कां कारिणी कां मन्त्रपूजिताकां बीज धारिणी।

कां कीं कूंकै क: ठ: छ: स्वाहारूपिणी।।

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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Source : News Nation Bureau

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