Chaitra Navratri 2022, Mata Ke Naam Ka Asli Aadhar: सुनी सुनाई कथाओं से बिलकुल उलट है माता के नौ रूपों के नामों का आधार, जानें हर नाम के पीछे का असली तथ्य
Chaitra Navratri 2022, Mata Ke Naam Ka Asli Aadhar: आज हम आपको माता रानी के नौ रूपों के नामों का असली आधार बताने जा रहे हैं जो अब तक की सुनी सुनाई कथाओं के बिलकुल विपरीत है.
नई दिल्ली :
Chaitra Navratri 2022, Mata Ke Naam Ka Asli Aadhar: आज से चैत्र नवरात्रि शुरू हो गई है. आज नवरात्रि का प्रथम दिवस है. आज के दिन माँ दुर्गा का प्रथम स्वरूप- माता शैपुत्री की पूजा अर्चना की जाती है. ये तो सभी जानते हैं कि माता रानी के नौ रूप हैं और नवरात्रि के नौ दिन इन्हीं नौ रूपों को ध्याया जाएगा. माता के ये नौ रूप शक्ति का प्रतीक माने गए हैं. माता के हर रूप का एक अलग नाम है और हर नाम के पीछे एक कथा है. लेकिन आज हम आपको माता रानी के नौ रूपों के नामों का असली आधार बताने जा रहे हैं जो अब तक की सुनी सुनाई कथाओं के बिलकुल विपरीत है.
शैलपुत्री
पहला दिन माता शैलपुत्री का माना गया है. शैलपुत्री माता सती को कहा जाता है, जो माता का पहला अवतार था. सती राजा दक्ष की कन्या थीं. राजा दक्ष द्वारा महादेव के अपमान के कारण माता सती ने यज्ञ की आग में कूदकर खुद को भस्म कर लिया था.
ब्रह्मचारिणी
दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि माता ने कठिन तप किया था, इस तप के बाद ही महादेव को पति के रूप में प्राप्त किया था. इस कारण उनका दूसरा नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा.
चंद्रघंटा
माता का तीसरा स्वरूप चंद्रघंटा के नाम से प्रसिद्ध है. जिनके मस्तक पर चंद्र के आकार का तिलक हो, वो माता चंद्रघंटा कहलाती हैं.
कूष्मांडा
चौथा दिन माता कूष्मांडा को समर्पित माना गया है. जिनमें ब्रह्मांड को उत्पन्न करने की शक्ति व्याप्त हो, जो उदर से अंड तक माता अपने भीतर ब्रह्मांड को समेटे हुए हैं, उस शक्ति को कूष्मांडा कहा गया है. माता शक्ति स्वरूपा हैं, इसलिए उनका एक नाम कूष्मांडा है.
स्कंदमाता
कार्तिकेय माता के पुत्र हैं, जिन्हें स्कंद के नाम से भी जाना जाता है. जो स्कंद की माता हैं, वो स्कंदमाता कहलाती हैं. नवरात्रि के पांचवे माता स्कंदमाता की पूजा की जाती है.
कात्यायिनी
छठवें दिन माता कात्यायनी की पूजा की जाती है, जो महिषासुर मर्दिनी हैं. माता ने महर्षि कात्यायन के कठिन तप से प्रसन्न होकर उनके घर में उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया था, इसलिए वे माता कात्यायनी के नाम से भी जानी जाती हैं.
कालरात्रि
माता का सातवां स्वरूप कालरात्रि है. जिसमें काल यानी मृत्यु तुल्य संकटों को भी हरने की शक्ति व्याप्त हो, उन्हें माता कालरात्रि कहा जाता है. माता के इस रूप के पूजन से संकटों का नाश होता है.
महागौरी
शिव को पाने के लिए जब माता पार्वती ने कठिन तप किया तो तप के प्रभाव से उनका रंग काला पड़ गया. तपस्या से प्रसन्न होने के बाद महादेव ने गंगा के पवित्र जल से उनके शरीर को धोया और उनका शरीर विद्युत प्रभा के समान कांतिमान-गौर हो उठा. इस कारण माता का नाम महागौरी पड़ा. नवरात्रि के आठवें दिन माता के इस रूप की पूजा की जाती है.
सिद्धिदात्री
माता का वो रूप जो हर प्रकार की सिद्धि से संपन्न है, उसे सिद्धिदात्री कहा जाता है. माता के इस रूप का पूजन करने से सिद्धियों की प्राप्ति की जा सकती है.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Kajol Workout Routine: 49 की उर्म में ऐसे इतनी फिट रहती हैं काजोल, शेयर किया अपना जिम रुटीन
-
Viral Photos: निसा देवगन के साथ पार्टी करते दिखे अक्षय कुमार के बेटे आरव, साथ तस्वीरें हुईं वायरल
-
Moushumi Chatterjee Birthday: आखिर क्यों करियर से पहले मौसमी चटर्जी ने लिया शादी करने का फैसला? 15 साल की उम्र में बनी बालिका वधु
धर्म-कर्म
-
Vikat Sanakashti Chaturthi 2024: विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत कब? बस इस मूहूर्त में करें गणेश जी की पूजा, जानें डेट
-
Shukra Gochar 2024: शुक्र ने किया मेष राशि में गोचर, यहां जानें किस राशि वालों पर पड़ेगा क्या प्रभाव
-
Buddha Purnima 2024: कब है बुद्ध पूर्णिमा, वैशाख मास में कैसे मनाया जाएगा ये उत्सव
-
Shani Shash Rajyog 2024: 30 साल बाद आज शनि बना रहे हैं शश राजयोग, इन 3 राशियों की खुलेगी लॉटरी