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Chaitra Navaratri 2024: शेर ही नहीं घोड़ा भी है अंबे मां का सवारी, जानें इसका रहस्य और इतिहास

Chaitra Navaratri 2024: मां अंबे के घोड़े की सवारी मां की दिव्य शक्ति, विजय, और न्याय की प्रतीक है, जो उन्हें बुराई से विजयी बनाती है. इस सवारी में छिपा है अद्भुत और आध्यात्मिक रहस्य.

Updated on: 04 Apr 2024, 12:33 PM

नई दिल्ली :

Chaitra Navaratri 2024: अंबे माता, जिन्हें देवी दुर्गा के रूप में भी जाना जाता है, अक्सर शेर की सवारी करते हुए चित्रित किया जाता है. लेकिन कुछ चित्रों और मूर्तियों में उन्हें घोड़े की सवारी करते हुए भी देखा जाता है. यह घोड़ा, जिसे उच्छैःश्रवा के नाम से जाना जाता है, शक्ति, गति और साहस का प्रतीक है. मां अंबे भारतीय संस्कृति में देवी दुर्गा के रूप में पूजनीय देवी हैं. वे नवरात्रि के नौ दिनों में नवरूपों में से एक हैं, जो मां की शक्ति और सामर्थ्य का प्रतिक है. मां अंबे को आदि शक्ति के रूप में पूजा जाता है, जो सृष्टि की स्थिति, विनाश और पालन करने वाली हैं. उनकी पूजा और उनका स्मरण विशेष रूप से नवरात्रि के अवसर पर की जाती है. मां अंबे का नाम "अंबा" का उपयोग कर उन्हें सम्मानित किया जाता है, जो "माँ" का अर्थ है. वे शक्ति, सौम्यता, और संजीवनी शक्ति के प्रतीक हैं और उन्हें भक्तों के दुःखों से रक्षा करने का दावा किया जाता है. उनका ध्यान करने से भक्तों को शांति, सुख, और शक्ति प्राप्त होती है. मां अंबे की आराधना का उद्देश्य अध्यात्मिक उन्नति, धर्म का पालन और सच्चे प्रेम में बढ़ावा देना होता है. वे भक्तों की सभी मांगों को पूरा करने और उन्हें संतुष्ट करने में सक्षम हैं.

देवी अंबे के घोड़े की सवारी का रहस्य: 

शक्ति का प्रतीक: घोड़ा शक्ति और गति का प्रतीक है. माँ अंबे की घोड़े की सवारी उनके दिव्य और अजेय शक्ति का प्रतीक है.

दुष्टों पर विजय: घोड़ा विजय का भी प्रतीक है. माँ अंबे की घोड़े की सवारी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है.

न्याय और सत्य की रक्षा: घोड़ा न्याय और सत्य का भी प्रतीक है. माँ अंबे की घोड़े की सवारी न्याय और सत्य की रक्षा करने की उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक है.

मां अंबे के घोड़े का इतिहास: 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, उच्छैःश्रवा घोड़ा समुद्र मंथन के दौरान प्रकट हुआ था. यह देवताओं और असुरों के बीच हुए युद्ध में देवताओं की ओर से लड़ा था. यह घोड़ा अपनी शक्ति, गति और सुंदरता के लिए जाना जाता था. मां अंबे ने कई राक्षसों का वध करने के लिए उच्छैःश्रवा घोड़े की सवारी की थी. उन्होंने महिषासुरमर्दिनी रूप में महिषासुर का वध करते समय इस घोड़े की सवारी की थी. यह घोड़ा देवी दुर्गा का वाहन बन गया और उनकी शक्ति और वीरता का प्रतीक बन गया. मां अंबे की घोड़े की सवारी उनके दिव्य शक्ति, विजय, न्याय और सत्य की रक्षा करने की प्रतिबद्धता का प्रतीक है. यह घोड़ा देवी दुर्गा का वाहन बन गया और उनकी शक्ति और वीरता का प्रतीक बन गया.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)