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Buddha Purnima 2021( Photo Credit : सांकेतिक चित्र)
आज यानि कि 26 मई का बुद्ध पूर्णिमा मनाई जा रही है. इस दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था और इसी दिन ही बोधगया में पीपल के वृक्ष के नीचे उन्हें बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी. वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध ने गोरखपुर से 50 किमी दूर कुशीनगर में महानिर्वाण की ओर प्रस्थान किया था. वहीं बता दें कि वैशाख शुक्ल पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है. हिंदू धार्मिक ग्रंथों में भगवान बुद्ध को भगवार विष्णु का 9वां अवतार बताया गया है. इसलिए हिंदू धर्म के लोगों के लिए भी बुद्ध पूर्णिमा का विशेष महत्व है. वैशाख पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति को पाप कर्मों से छुटकारा मिलता है. शुभ मुहूर्त में पूजन करने से बिगड़े काम बन जाते हैं.
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बुद्ध पूर्णिमा से जुड़ी मान्यताएं
माना जाता है कि वैशाख की पूर्णिमा को ही भगवान विष्णु ने अपने नौवें अवतार के रूप में जन्म लिया. मान्यता है कि भगवान कृष्ण के बचपन के दोस्त सुदामा वैशाख पूर्णिमा के दिन ही उनसे मिलने पहुंचे थे. इसी दौरान जब दोनों दोस्त साथ बैठे तब कृष्ण ने सुदामा को सत्यविनायक व्रत का विधान बताया था. सुदामा ने इस व्रत को विधिवत किया और उनकी गरीबी नष्ट हो गई. इस दिन धर्मराज की पूजा करने की भी मान्यता है. कहते हैं कि सत्यविनायक व्रत से धर्मराज खुश होते हैं. माना जाता है कि धर्मराज मृत्यु के देवता हैं इसलिए उनके प्रसन्न होने से अकाल मौत का डर कम हो जाता है.
बुद्ध पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 25 मई 2021 रात 8 बजकर 29 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समापन- 26 मई 2021 शाम 4 बजकर 43 मिनट तक
बुद्ध पूर्णिमा के दिन क्या करें
- सूरज उगने से पहले उठकर घर की साफ-सफाई करें.
- गंगा में स्नान करें या फिर सादे पानी से नहाकर गंगाजल का छिड़काव करें.
- घर के मंदिर में विष्णु जी की दीपक जलाकर पूजा करें और घर को फूलों से सजाएं.
- घर के मुख्य द्वार पर हल्दी, रोली या कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं और गंगाजल छिड़कें.
- बोधिवृक्ष के आस-पास दीपक जलाएं और उसकी जड़ों में दूध विसर्जित कर फूल चढ़ाएं.
- गरीबों को भोजन और कपड़े दान करें.
- अगर आपके घर में कोई पक्षी हो तो आज के दिन उन्हें आज़ाद करें.
- रोशनी ढलने के बाद उगते चंद्रमा को जल अर्पित करें.
भगवान बुद्ध के उपदेश-
1. भगवान बुद्ध ने अपने उपदेशों में बताया है कि क्रोध से किसी और का नहीं, बल्कि स्वयं मनुष्य का ही नुकसान होता है। क्रोधित होने का अर्थ है कि जलता हुआ कोयला हाथ में लेकर किसी और पर फेंकना, जो सबसे पहले खुद आपको ही जलाएगा।
2. भगवान बुद्ध कहते हैं कि खुशी उस रोशनी के समान है, जिसे आप जितना दूसरों को देंगे, वो उतना ही और बढ़ेगी। जैसे कि एक जलता हुआ दीप, हजार दीप जलाकर रोशनी फैला सकता है, लेकिन इससे उसकी रोशनी पर कोई प्रभाव नहीं होगा, वैसे ही खुशियां बांटने से बढ़ती हैं।
3. व्यक्ति अपने अच्छे और बुरे स्वास्थ्य का जिम्मेदार स्वयं होता है। इसीलिए खान-पान और दिनचर्या का ध्यान रखना चाहिए।
4. जो बुरा समय बीत गया हो उसको याद नहीं करना चाहिए। भविष्य के लिए सपने नहीं देखना चाहिए, बल्कि वर्तमान में ही ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
Source : News Nation Bureau