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Buddha Purnima 2020: 7 मई को मनाई जाएगी बुद्ध पूर्णिमा, ये है शुभ मुहूर्त

हिन्‍दू धर्म में बुद्ध पूर्णिमा का विशेष महत्‍व है. वैसाख महीने की पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्‍म हुआ था.

Updated on: 06 May 2020, 12:53 PM

नई दिल्ली:

हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार वैशाख महीने की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा हर साल अप्रैल या मई महीने में आती है. इस बार बुद्ध पूर्णिमा 7 मई को है. बुद्ध पूर्णिमा को हिन्‍दू और बौद्ध दोनों धर्म के अनुयायी बड़े उत्‍साह के साथ मनाते हैं. मान्‍यता है कि इसी दिन बौद्ध धर्म के संस्‍थापक महात्‍मा बुद्ध का जन्‍म हुआ था. वहीं बुद्ध को श्री हरि विष्‍णु का अवतार माना जाता है, इसलिए हिन्‍दुओं के लिए भी इस पूर्णिमा का विशेष महत्‍व है. गौतम बुद्ध के जन्‍मोत्‍सव के कारण बुद्ध पूर्णिमा को बुद्ध जयंतीऔर 'वेसाक'

बुद्ध पूर्णिमा का महत्‍व

हिन्‍दू धर्म में बुद्ध पूर्णिमा का विशेष महत्‍व है. वैसाख महीने की पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्‍म हुआ था. महात्‍मा बुद्ध को सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्‍णु का नौवां अवतार माना जाता है. इस पूर्णिमा को सिद्ध विनायक पूर्णिमा या सत्‍य विनायक पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध को बोधगया में पीपल के पेड़ के नीचे बुद्धत्‍व की प्राप्‍ति हुई थी. यही नहीं वैसाख पूर्णिमा के दिन ही बुद्ध ने गोरखपुर से 50 किलोमीटर दूर स्थित कुशीनगर में महानिर्वाण की ओर प्रस्‍थान किया था. हिन्‍दुओं के अलावा बौद्ध धर्म के लोग इस दिन को बुद्ध जयंती के रूप में मनाते हैं.

बुद्ध पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 6 मई 2020 को शाम 7.44 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्‍त: 7 मई 2019 को शाम 4.14

बुद्ध पूर्णिमा से जुड़ी मान्यताएं

माना जाता है कि वैशाख की पूर्णिमा को ही भगवान विष्णु ने अपने नौवें अवतार के रूप में जन्म लिया.
मान्यता है कि भगवान कृष्ण के बचपन के दोस्त सुदामा वैशाख पूर्णिमा के दिन ही उनसे मिलने पहुंचे थे. इसी दौरान जब दोनों दोस्त साथ बैठे तब कृष्ण ने सुदामा को सत्यविनायक व्रत का विधान बताया था. सुदामा ने इस व्रत को विधिवत किया और उनकी गरीबी नष्ट हो गई.
इस दिन धर्मराज की पूजा करने की भी मान्यता है. कहते हैं कि सत्यविनायक व्रत से धर्मराज खुश होते हैं. माना जाता है कि धर्मराज मृत्यु के देवता हैं इसलिए उनके प्रसन्‍न होने से अकाल मौत का डर कम हो जाता है.

बुद्ध पूर्णिमा के दिन क्या करें

सूरज उगने से पहले उठकर घर की साफ-सफाई करें.
गंगा में स्नान करें या फिर सादे पानी से नहाकर गंगाजल का छिड़काव करें.
घर के मंदिर में विष्णु जी की दीपक जलाकर पूजा करें और घर को फूलों से सजाएं.
घर के मुख्य द्वार पर हल्दी, रोली या कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं और गंगाजल छिड़कें.
बोधिवृक्ष के आस-पास दीपक जलाएं और उसकी जड़ों में दूध विसर्जित कर फूल चढ़ाएं.
गरीबों को भोजन और कपड़े दान करें.
अगर आपके घर में कोई पक्षी हो तो आज के दिन उन्हें आज़ाद करें.
रोशनी ढलने के बाद उगते चंद्रमा को जल अर्पित करें.