Radha-Krishna Wedding: ब्रह्माजी ने करवाया था राधा-कृष्ण का विवाह, इस मंदिर में हैं सबूत

Janmashtami 2023: राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी युगों-युगों से प्रसिद्ध चली आ रही है. लेकिन आज भी बहुत कम लोग ये बात जानते हैं कि इनका विवाह हुआ था और जगद्गुरु ब्रह्माजी ने स्वयं ये विवाह करवाया था.

Janmashtami 2023: राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी युगों-युगों से प्रसिद्ध चली आ रही है. लेकिन आज भी बहुत कम लोग ये बात जानते हैं कि इनका विवाह हुआ था और जगद्गुरु ब्रह्माजी ने स्वयं ये विवाह करवाया था.

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Inna Khosla
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Brahma Ji had got Radha Krishna married near mathura bhandirvan temple

Radha-Krishna Wedding( Photo Credit : Social Media)

Radha-Krishna Wedding: हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की... राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी विश्व प्रसिद्ध है युगों-युगों से उनके प्रेम कहानी के उदाहरण दिए जाए जाते हैं. जिस तरह से लोग भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा एक साथ करते हैं उसी तरह से भगवान श्रीकृष्ण के साथ राधा रानी की पूजा की जाती है. कुछ पौराणिक कहानियों में पढ़ने को ये मिलता है कि रुक्मणि भगवान कृष्ण की पत्नी थी. ये सच भी है लेकिन राधा रानी से भी उनका विवाह हुआ था जिसे खुद ब्रह्माजी ने करवाया था इस बारे में लोगों को कम जानकारी है. 

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श्रीकृष्ण को 16108 पत्नियां थीं. विशेषकर उनकी 8 पत्नियों के नाम सनातन के धार्मिक शास्त्रों में पढ़ने को मिलते हैं. रुक्मणि, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा से उनका विवाह कब हुआ कैसे हुआ ये जानकारी आपको आसानी से मिल जाएगी लेकिन राधा रानी से उनका विवाह हुआ है ये हम आपको बता रहे हैं. 

यहां हुआ था राधा-कृष्ण का गंधर्व विवाह

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मथुरा से 30 किलोमीटर दूर मांट तहसील के में भागीवरन में एक मंदिर है जहां श्रीकृष्ण दूल्हे बने और राधा रानी दुल्हन और इनका विवाह करवाते हुए ब्रह्मा जी भी यहीं विराजमान हैं. राधा कृष्ण के प्रेम विवाह की जानकारी आपको ब्रह्मवैवर्त पुराण और गर्ग संहिता में पढ़ने को मिलती है. 
जगद्गुरु ब्रह्माजी ने स्वयं श्रीकृष्ण का राधा से विवाह करवाया था. 

कैसे हुआ था राधा-कृष्ण का विवाह 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार नंदबाबा जब गाय चराने जा रहे थे तो वो कान्हा को भी अपने साथ लेकर चल दिए. उस समय कान्हा बाल अवस्था में थे. छोटे से बालगोपाल के साथ गाय चराते हुए नंद बाबा थक कर एक पेड़ की छांव में बैठ गए. थोड़ा आराम करने वो पेड़ के नीचे जैसे ही लेटे वैसे ही उनकी आंख लग गयी. कुछ देर बाद जब वो सोकर उठे तब दिन ढल चुका था. चारों ओर अंधेरा देकर वो डर गए और कान्हा को ढूंढने लगे. 

तभी दूर उन्हें एक रोशनी नज़र आयी, एक गोपी उनकी ओर बढ़ रही थी जिसे वो जानते थे. उसका नाम राधा था. देवी स्वरूप राधा को नंदबाबा ने बालगोपाल को सौंप दिया और कहा कि वो इसे सुरक्षित घर पहुंचा दे. राधा रानी ने कान्हा को गोद में लिया और चल दीं. जैसे ही राधा ने कान्हा का गाल चूमा वैसे ही कान्हा उनकी गोद से गायब हो गया. 

राधा कुछ समझ पाती उससे पहले ही कुछ ही पलों में कृष्ण भगवान रुप में प्रकट हुए और उन्होंने अपने प्रेम का इज़हार राधा से किया. राधा भी श्रीकृष्ण से प्रेम करती थी लेकिन उन्हें खोने से डरती थी. राधा की व्याकुल्ता को देखते हुए भगवान ने राधा से कहा तुम रुको मैं आता हूं. कुछ समय बाद ब्रह्माजी प्रकट हुए और उन्होंने राधा और कृष्ण को विधिवत गंधर्व विवाह करवाया. अग्निकुंड के सामने मंत्रोच्चार करते हुए ये विवाह संपन्न हुआ. 

कथाओं के अनुसार, विवाह संपन्न होते है ब्रह्मा जी चले गए और कृष्णा बालाव्स्था में आ गया. लेकिन ये जगह इनके विवाह की साक्षी बनीं. इसलिए आज भी मथुरा से 30 किलोमीटर दूर एक मंदिर है जहां इनका विवाह ब्रह्माजी करवाते नज़र आ रहे हैं. 

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Source : News Nation Bureau

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