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Bhaum Pradosh Vrat 2024: आज पौष माह के भौम प्रदोष व्रत की रात जरूर करें ये उपाय, हर मनोकामना होगी पूरी

आज पौष माह का आखिरी प्रदोष व्रत है जिसे हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है. मंगलवार के दिन आने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहते हैं, जो भगवान शिव को समर्पित है. प्रदोष व्रत में भक्तगण भगवान शिव की पूजा करते हैं.

Updated on: 23 Jan 2024, 11:46 AM

नई दिल्ली:

Bhaum Pradosh Vrat 2024: आज पौष माह का आखिरी प्रदोष व्रत है जिसे हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है. मंगलवार के दिन आने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहते हैं, जो भगवान शिव को समर्पित है. प्रदोष व्रत में भक्तगण भगवान शिव की पूजा करते हैं और उनका व्रत करने के लिए विशेष रूप से समर्पित होते हैं. पूजा में बेलपत्र, धातूरा, भूतवेताल, दधि, घी, शर्करा, खीर, फल, पुष्प, गंध, नीलकमल, केशर, बिल्वपत्र, गोमूत्र, गंगाजल, रूद्राक्ष, गौदूल्य, वस्त्र, रत्न, धूप, दीप, नैवेद्य आदि उपयोग होते हैं. इस व्रत का मुख्य उद्देश्य भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना है और भक्त इस व्रत के माध्यम से अपने मन, वचन, और क्रिया को पवित्र बनाने का प्रयास करते हैं. यह व्रत भक्ति और साधना का एक महत्वपूर्ण साधना है जो व्यक्ति को आत्मा समर्पित करने का संदेश देता है. प्रदोष व्रत के दिन व्रती भक्त ब्रह्मचर्य, शांति, और संकल्प के साथ पूजा करते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं. इस दिन को विशेषत: प्रदोष काल में पूजन करना श्रेष्ठ माना जाता है, जिसमें सूर्यास्त के समय और रात्रि के पहले पहर में भगवान शिव की पूजा की जाती है. प्रदोष व्रत से जुड़े अनुष्ठान और पूजा विधि को जानकर भक्त इसे ध्यानपूर्वक मनाते हैं और अपने जीवन को शिव के मार्ग पर चलने का प्रयास करते हैं. प्रदोष व्रत को मनाने के लिए कुछ उपायों को ध्यान में रखा जा सकता है.

प्रदोष व्रत की शाम में भगवान शिव के उपाय करने से व्रती व्यक्ति भगवान की कृपा को प्राप्त कर सकता है और अपने जीवन को शिव के मार्ग पर स्थापित कर सकता है. 

शिवलिंग पूजा: शिवलिंग की पूजा व्रती के लिए महत्वपूर्ण है. शुद्ध भावना के साथ शिवलिंग पर दूध, बिल्वपत्र, गंध, दीप, और फल चढ़ाएं। शिवलिंग को गंगाजल से स्नान कराएं.

महामृत्युंजय मंत्र: प्रदोष व्रत की शाम में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना बहुत शुभ होता है. "ॐ त्र्यम्बकं यजामहे, सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्."

धूप-दीप प्रदीपन: शिव पूजा के समय धूप और दीप से आत्मा को पवित्र बनाएं. धूप से घर को शुद्ध करने का भी महत्व है.

भजन और कीर्तन: भगवान शिव के गुणगान में रमना और उनके भजन गाना भी शुभ होता है. व्रती व्यक्ति शिव की महिमा की गान में लीन होकर उनकी आराधना कर सकता है.

त्रिपुरार्चना मंत्र: त्रिपुरार्चना मंत्र का जाप करना भी प्रदोष व्रत के दिन महत्वपूर्ण है. "त्रिपुरान्तकारी विरिञ्चिविश्वाधिकारीश्वरीमध्यान्तसमस्तजगतां नाशयामि यः स ब्रह्मास्मिति स्वयंभूः."

शिव चालीसा पाठ: शिव चालीसा का पाठ करना भी शिव भक्ति में वृद्धि कर सकता है और भगवान की कृपा को आकर्षित कर सकता है.

दान पुण्य: व्रती व्यक्ति को प्रदोष व्रत के दिन दान देना भी शुभ होता है। वह गरीबों को आहार या धन दान करके अच्छे कर्म करता है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)