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Bhai Dooj 2020: इस मुहूर्त में भाई को लगाएं टीका, जानें भाई दूज की पौराणिक कथा और महत्व

आज यानि 16 नवंबर को देशभर में भाई दूज (Bhai Dooj 2020)  का त्योहार मनाया जा रहा है. कई जगह इसे भाई टीका के नाम से भी जाना जाता है.  आज के दिन सभी बहन अपने भाई के माथे पर रोली और अक्षत से टीका लगा कर उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं.

Updated on: 16 Nov 2020, 11:40 AM

नई दिल्ली:

आज यानि 16 नवंबर को देशभर में भाई दूज (Bhai Dooj 2020)  का त्योहार मनाया जा रहा है. कई जगह इसे भाई टीका के नाम से भी जाना जाता है.  आज के दिन सभी बहन अपने भाई के माथे पर रोली और अक्षत से टीका लगा कर उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं.

वहीं भाई अपनी बहन की हमेशा रक्षा का संकल्प लेते हुए उन्हे प्यार भरा तोहफा देते हैं. हर साल भाई दूज का त्योहार दिवाली के तीसरे दिन और गोवर्धन पूजा के बाद मनाई जाती है. हिंदू धर्म में भाई दूज का खासा महत्व है. इस दिन यम देवता के पूजन का विशेष महत्व है.

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इस दिन यमुना, चित्रगुप्‍त और यमदूतों की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. वहीं भाई दूज के मौके पर यमुना में स्नान करने की भी परंपरा है. कहा जाता है कि जो भी भाई बहन इस दिन यमुना में स्नान करते है, उन्हें यमराज खुद लंबी आयु का आशीर्वाद देते हैं. 

भाई दूज का शुभ मुहूर्त 

भाई दूज तिथि- 16 नवंबर 2020, सोमवार

भाई दूज तिलक मुहूर्त - दोपहर 12 बजकर 56 मिनट से 3 बजकर 06 मिनट तक

अगर यमुना में न कर सकें स्नान तो ऐसे मनाएं  भाई दूजा का त्योहार

भाईदूज के दिन भाई और बहन दोनों मिलकर प्रात:काल यम, चित्रगुप्त, यम के दूतों की पूजा करें. इसके बाद सूर्यदेव के साथ ही इन सभी को भी अर्घ्य दें. यम की पूजा करते हुए बहन प्रार्थना करें कि हे यमराज, श्री मार्कण्डेय, हनुमान, राजा बलि, परशुराम, व्यास, विभीषण, कृपाचार्य और अश्वत्थामा इन आठ चिरंजीवियों की तरह मेरे भाई को भी चिरंजीवी होने का वरदान दें.

प्रार्थना के बाद बहन अपने भाई का टीका करें, अक्षत लगाएं और भाई को भोजन कराएं. भोजन के पश्चात भाई यथाशक्ति बहन को उपहार या दक्षिणा दें.

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भाई दूज की कथा

भाई दूज को लेकर एक लेकर एक पौराणिक मान्यता भी है. कहते हैं यह वही तिथि है जब यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने के लिए जाते हैं और उसी परम्परा को आगे बढ़ाते हुए पूरा देश इस दिन को भाई दूज के रूप में मनाता है. कथा के मुताबिक, सूर्य की संज्ञा नामक पत्नी से दो संतानें थी. पुत्र यमराज और पुत्री यमुना, संज्ञा सूर्य का तेज सहन नहीं कर पाईं, जिसके चलते उन्होंने अपनी छाया का निर्माण कर अपने पुत्र -पुत्री को उसे सौंपकर वहां से चली गई. छाया को यम और यमुना से कोई प्यार नहीं था, लेकिन भाई और बहन के बीच बहुत प्रेम था.

 यमुना अपने भाई यमराज से उसके घर आने का निवेदन करती थी, लेकिन यमराज यमुना की बात को टाल जाते थे. एक बार कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने पहुंचे. यमुना अपने द्वार पर अचानक यमराज को देखकर बेहद खुश हो गई. यमुना ने अपने भाई का स्वागत-सत्कार कर उन्हें भोजन करवाया.बहन के आदर सत्कार से खुश होकर यमदेव ने यमुना से कुछ मांगने को कहा तभी यमुना ने उनसे हर साल इस तिथि के दिन उनके घर आने का वरदान मांगा. 

मान्यता है कि जो भाई आज के दिन बहन से तिलक करवाता है उसे कभी अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता. इस दिन को यम द्वितिया के नाम से भी जाना जाता है. वैसे तो देश भर की पवित्र नदियों में इस दिन भाई बहन स्नान के लिए पहुंचते हैं. लेकिन मथुरा वृन्दावन में यमुना स्नान का विशेष महत्व बताया जाता है. इस दिन भारी संख्या में लोग मथुरा पहुंचते है और अपने भाई-बहन बहन की लंबी उम्र के लिए देवी यमुना से प्रार्थना करते हैं .मान्यता है कि जो भाई बहन इस दिन यमुना में स्नान करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं स्वयं यमदेव पूरी करते हैं.