Basant Panchami 2021: इस मुहूर्त में करें बसंत पंचमी की पूजा, मां सरस्वती बरसाएंगी कृपा
16 फरवरी यानि कि मंगलवार को देशभर में बसंत पंचमी (Basant Panchami 2021) का त्यौहार मनाया जाएगा. हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है.
नई दिल्ली:
16 फरवरी यानि कि मंगलवार को देशभर में बसंत पंचमी (Basant Panchami 2021) का त्यौहार मनाया जाएगा. हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है. हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व है. बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती (Goddess Saraswati) की पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था. वहीं इस दिन जो भी भक्त सच्चे दिल से देवी सरस्वती की पूजा करता हैं, उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती है. बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की अराधना करने से बुद्धि और ज्ञान का आशीर्वाद मिलता है. अगर आप भी अपने जीवन में सफल होना चाहते है तो पूरे विधि विधान से मां शारदा की पूजा करें. विद्या की देवी का कृपा पाने के लिए बसंत पंचमी से अच्छा अवसर कोई और नहीं हो सकता है.
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धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन विशेष रूप से लोगों को अपने घर में सरस्वती यंत्र स्थापित करना चाहिए. मां सरस्वती का संबंध बुद्धि से है, ज्ञान से है. यदि आपके बच्चे का पढ़ाई में मन नहीं लगता है, यदि आपके जीवन में निराशा का भाव है तो बंसत पंचमी के दिन मां सरस्वती का पूजन अवश्य करें.
बसंत पंचमी पूजा का शुभ मुहूर्त-
इस साल बसंत पंचमी पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6:59 बजे से 12: 35 बजे तक करीब 05 घंटे 36 मिनट का रहेगा.
बसंत पंचमी के दिन इस तरह करें मां सरस्वती की पूजा-
- बसंत पंचमी के दिन प्रात:काल स्नान करें.
- इसके बाद पीला, बसंती या सफेद रंग का वस्त्र धारण करें.
- पूजा की चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर उस पर मां सरस्वती की मूर्ति स्थापित करें.
- अब देवी सरस्वती की मूर्ति पर चंदन का तिलक लगाकर केसर, रौली, हल्दी, चावल, और पीले फूल अर्पित करें.
- मां सरस्वती को श्वेत चंदन और पीले और सफेद फूल दाएं हाथ से अर्पित करें.
- इसके बाद दही, मिश्री, हलवा, बूंदी या बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं.
- ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः मंत्र का जाप करें.
- काले रंग के वस्त्र धारण करने से बचे
- मां सरस्वती को कलम अर्पित करें और फिर पूजा के बाद उसका इस्तेमा शुभ कार्यों के लिए करें.
मां सरस्वती को खुश करने के लिए करें इन मंत्रों का जाप-
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥
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