Basant Panchami 2020: आज मनाई जा रही है बसंत पंचमी, इस शुभ मुहूर्त पर करें पूजा
दरअसल पंचमी तिथि 29 जनवरी को सुबह 10.46 बजे लग गई थी लेकिन सूर्योदय का समय न होने की वजह से बसंत पंचमी 30 जनवरी यानी को मनाई जाएगी.
नई दिल्ली:
हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक बसंत पंचमी का त्योहार आज देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है. हिंदू पंचाग के मुताबिक ये त्योहार हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष के पांचवे दिन मनाया जाता है. ये पर्व भारत के आलावा बांग्लादेश और नेपाल में भी बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है. बसंत पंचमी के साथ ही बसंत ऋतु की शुरुआत हो चुकी है. इस ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महीने के पांचवे दिन भगवान विष्णु और कामदेव की पूजा की जाती है. इसीलिए इसे बसंत पंचमी कहा जाता है. इस बार बसंत पंचमी 30 जनवरी को मनाई जा रही है.
बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त:
दरअसल पंचमी तिथि 29 जनवरी को सुबह 10.46 बजे लग गई थी लेकिन सूर्योदय का समय न होने की वजह से बसंत पंचमी 30 जनवरी यानी को मनाई जाएगी. पंचमी तिथि 29 जनवरी सुबह 10 बजकर 46 मिनट से लेकर 30 जनवरी को दोपहर 1 बजकर 18 मिनट तक रहेगी. इसलिए 30 जनवरी को सूर्योदय के बाद बसंत पंचमी की पूजा की जाएगी.
ऐसे करें मां सरस्वती की पूजा
- पीले, बसंती या सफेद वस्त्र धारण करें. पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा की शुरुआत करें.
- बसंत पंचमी पर मां सरस्वती को पीला वस्त्र बिछाकर उस पर स्थापित करें और रोली मौली, केसर, हल्दी, चावल, पीले फूल, पीली मिठाई, मिश्री, दही, हलवा आदि प्रसाद के रूप में उनके पास रखें.
- मां सरस्वती को श्वेत चंदन और पीले तथा सफ़ेद पुष्प दाएं हाथ से अर्पण करें.
- केसर मिश्रित खीर अर्पित करना सर्वोत्तम होगा.
- मां सरस्वती के मूल मंत्र ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः का जाप हल्दी की माला से करना सर्वोत्तम होगा.
- काले, नीले कपड़ों का प्रयोग पूजन में भूलकर भी ना करें.शिक्षा की बाधा का योग है तो इस दिन विशेष पूजा करके उसको ठीक किया जा सकता है.
जानें क्यों की जाती है बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा
यह त्योहार हर साल माघ मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था. शास्त्रों एवं पुराणों कथाओं के अनुसार बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा को लेकर एक बहुत ही रोचक कथा है-
ऐसी मान्यता है कि सृष्टि के प्रारंभ में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने मनुष्य की रचना की. लेकिन अपने सर्जना से वे संतुष्ट नहीं थे. उदासी से सारा वातावरण मूक सा हो गया था. यह देखकर ब्रह्माजी अपने कमण्डल से जल छिड़का. उन जलकणों के पड़ते ही पेड़ों से एक शक्ति उत्पन्न हुई जो दोनों हाथों से वीणा बजा रही थी तथा दो हाथों में पुस्तक और माला धारण की हुई जीवों को वाणी दान की, इसलिये उस देवी को सरस्वती कहा गया.
देवी सरस्वती की कृपा जिस पर हो जाती है, वह व्यक्ति जितना भी मूढ़ हो शीघ्र ही बुद्धिमान होकर जीवन में सही निर्णय लेने में सफल होता है. इस श्लोक के प्रभाव से आपकी बुद्धि निर्मल होगी. मां सरस्वती को खुश करने के लिए करें इस मंत्र का जाप-
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥
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