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काशी विश्वनाथ धाम में अक्षयवट वृक्ष गिरा, अपशकुन की आशंका से लोगों में दहशत

अक्षयवट वृक्ष के गिरने की वजह से जहां मंदिर के महंत परिवार में रोष व्याप्त है तो वहीं दूसरी काशी की जनता में भी अपशकुन की आशंका से आक्रोश है.

Updated on: 29 Apr 2021, 12:31 PM

highlights

  • विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र स्थित अक्षयवट हनुमान मंदिर में मौजूद विशाल वटवृक्ष ढहा
  • श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन और पीएसपी कंपनी की लापरवाही, महंत परिवार में रोष

वाराणसी:

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र स्थित अक्षयवट हनुमान मंदिर स्थित विशाल अक्षयवट वृक्ष विश्वनाथ मंदिर प्रशासन की लापरवाही की वजह से बुधवार को गिर गया. महंत परिवार ने आरोप लगाया है कि विश्वनाथ मंदिर प्रशासन की लापरवाही की वजह से यह वट वृक्ष गिरा है. महंत परिवार ने इस संदर्भ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर इस मामले को लेकर अपना विरोध जताने की बात कही है. बता दें कि प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रॉजेक्ट विश्वनाथ धाम कॉरिडोर निर्माण कार्य के दौरान हनुमान और शिव सभा मन्दिर दायरे में आया अक्षयवट गिर गया है. अक्षयवट वृक्ष के गिरने की वजह से जहां मंदिर के महंत परिवार में रोष व्याप्त है तो वहीं दूसरी ओर काशी की जनता में अपशकुन की आशंका से आक्रोश है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक स्थानीय लोगों में इस बात की भी चर्चा है कि वट वृक्ष का ढहना अपशकुन है और बड़ी आपदा आ सकती है.

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लिखित आश्वासन के साथ श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र के सौंदर्यीकरण का कार्य किया था आरंभ 
गौरतलब है कि विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने मंदिर महंत परिवार से अनुमति लेकर लिखित आश्वासन के साथ श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र के सौंदर्यीकरण का कार्य आरंभ किया था. मंदिर के महंत परिवार ने अधिकारियों को बताया था कि अक्षयवट वृक्ष और अंजनि पुत्र के विशाल विग्रह को संरक्षित और सुरक्षित रखने के साथ ही सौंदर्यीकरण का कार्य किया जाए. हालांकि उस दौरान अधिकारियों ने  सुरक्षित और संरक्षित करने को लेकर आश्वासन दिया था. सौंदर्यीकरण के कार्य के दौरान निर्माणरत पीएसपी कंपनी और मंदिर प्रशासन की लापरवाही की वजह से अक्षयवट वृक्ष को संरक्षित नहीं किया गया. विशाल अक्षयवट वृक्ष बुधवार सुबह को ढह गया.

बता दें कि पूरे भारत वर्ष में अक्षयवट वृक्ष तीन जगह काशी, गया और प्रयाग पर ही हैं. जानकारी के मुताबिक नील कुमार मिश्रा, महंत बच्चा पाठक और रमेश गिरी का कहना है कि प्रयागराज में सिर मुंडन कराने, गया में वृक्ष के नीचे पिंडदान करने और काशी में अक्षयवट वृक्ष के नीचे डंडी स्वामी को भोजन कराने का अपना एक अलग महत्व है. गौरतलब है कि तीनो ही स्थानों पर हनुमान जी तीन स्वरूप में विराजमान हैं. प्रयागराज में लेटे हैं, गया में बैठे हैं और काशी में खड़े हनुमान जी हैं.