Bangladesh में इस्लामिक कट्टरता का कहर, जिसे हिंदुओं ने पाला, उसी ने किया विश्वासघात

बांग्लादेश में हिंदुओं पर इस्लामिक कट्टरता कहर बनकर गुजर रही है...यहां रह रहे हिंदू परिवारों पर जुल्म किए जा रहे हैं, हिंदुओं से कह दिया गया है कि यहां रहना है तो इस्लाम धर्म अपनाओं या फिर मौत को गले लगा लो.

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Mohit Sharma
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Islamic fundamentalism in Bangladesh

बांग्लादेश में हिंदुओं पर इस्लामिक कट्टरता का कहर

Bangladesh: कहावत तो यह है कि एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है...ऐसे में कुछ लोगों की वजह से पूरी दुनिया एक कम्युनिटी को बदनाम कर रखा है...पूरा विश्व आज इनसे काफी ज्यादा त्रस्त है. त्रस्त इस कदर है कि कहीं पर कोई भी हो उनके दुश्मन हमेशा रहते हैं. यह कम्युनिटी हर जगह अपने दुश्मन ढूंढ लेती है. फिर चाहे वह कितने ही अच्छे लोग क्यों ना हो. बांग्लादेश का ताजा हाल देखकर तो यही लगता है. अभी बांग्लादेश में जो कुछ हुआ वह सिर्फ हिंदुओं के लिए ही नहीं संपूर्ण मानवता के लिए एक सीख है कि यह प्रजाति किस कदर खतरनाक है... यह अपने ही लोगों को खाने में थोड़ा सी भी शर्म नहीं करती.

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बांग्लादेश को हिंदुओं ने ही दूध पिलाया

जिस बांग्लादेश को हिंदुओं ने ही दूध पिलाया, उसी बांग्लादेश के मुस्लिमों ने हिंदुओं को ही डसा. इस कदर डसा कि उनके घर जला डाले, उनके मंदिर तोड़ डाले, उनकी बहन बेटियों के साथ बलात्कार किया और अभी भी कर रहे हैं. एक मौलाना खुलेआम ऐलान किया गया है कि बांग्लादेश में अगर रहना है तो या तो इस्लाम अपना लो और या फिर मौत को गले लगा लो.

कई लाख लोगों को कई दिनों तक प्रसाद बांटा गया था

इसके अलावा, उस इस्कॉन के साथ इन्होंने कितना गलत काम करा है. जो इस्कॉन इन्हें कभी इतनी आर्थिक सहायता दे दिया था जितनी शायद यह लोग डिजर्व नहीं करते थे. जब बांग्लादेश 1971 में आजाद हुआ था तो आर्थिक रूप से बहुत बुरी हालत थी. लोग भूख से बिल बिला रहे थे. बहुत अस्त व्यस्त परिस्थितियां थी. उस वक्त एस्कॉन के फाउंडर हैं ने 2.5 मिलियन डॉलर जो उस समय के हिसाब से बहुत बड़ी रकम थी, बांग्लादेश को मदद की थी. 50 साल पहले 2.5 मिलियन डॉलर बहुत बड़ी बात थी. कई लाख लोगों को कई दिनों तक प्रसाद बांटा गया था. बदले में उन लोगों ने क्या करा वह हम सब देख ही रहे हैं.

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लाखों लोगों को प्रसाद खिलाते थे

सोशल मीडिया पर एक इस्कॉन सेवाकर्मी ने वीडियो शेयर करते हुए ये भी कहा कि एक स्टीव जॉब्स हैं जिसने मंदिर में जाकर प्रसाद पाया तो जीवन भर भूला नही. उसको जहां भी जा रहे हैं वो जाकर बता रहे हैं कि जब मुझे जरूरत थी जब मैं भूखा था मैं इस्कॉन में गया था, वहां मैंने प्रसाद पाया था. ऐसा नहीं इस्कॉन ने अलग से उसके लिए कुछ कर दिया. लाखों लोग डेली आकर प्रसाद पाते हैं उसने भी पा लिया कौन सी बड़ी बात हो गई. लेकिन, उसको भी वो भूला नहीं उसको भी उसको याद है और यहां पे वो कम्युनिटी है जिनको जब सबसे ज्यादा जरूरत थी उस वक्त उनकी हेल्प की गई इतने बड़े स्केल पर उनकी हेल्प की गई और बदले में उन्होंने क्या किया वो हम सब देख रहे हैं. इस प्रजाति से पूरी दुनिया जो त्रस्त है अब इनके खिलाफ कहीं ना कहीं आवाज तो उठ ही रही है. 

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