Baisakhi 2023 : जानें कब है बैसाखी, यहां है पूरी जानकारी
बैसाखी का त्योहार हर साल वैशाख माह में मनाई जाती है.
highlights
- जानें कब है बैसाखी
- बैसाखी का महत्व क्या है
- कैसे मनाई जाती है बैसाखी
नई दिल्ली :
Baisakhi 2023 : बैसाखी का त्योहार हर साल वैशाख माह में मनाई जाती है. ये त्योहार हर साल बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. बैसाखी को फसल त्योहार और नए वसंत के आगमन के रूप में मनाया जाता है. वहीं हिंदू पंचांग के अनुसार, बैसाखी के दिन विशाखा नक्षत्र होता है. इसलिए पूर्णिमा में विशाखा नक्षत्र होने के कारण इस महीने को बैशाखी कहा जाता है. यह पर्व सुख-समृद्धि का पर्व माना जाता है. इस दिन सूर्यदेव मेष राशि में प्रवेश करेंगे, जिससे इसे मेष संक्रांति भी कहा जा रहा है. इस दिन नववर्ष के रूप में मनाया जाता है. बता दें, बैशाख माह में रबी की फसल की कटाई की जाती है और इसके अच्छे पैदावार के लिए भगवान को शुक्रिया अदा भी किया जाता है. इस दिन अनाज की विशेष पूजा होती है. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में बैसाखी कब मनाया जाएगा, इसका महत्व क्या है, इसके बारे में विस्तार से बताएंगे.
ये भी पढ़ें - Akshaya Tritiya 2023: जानें कब है अक्षय तृतीया, इस मुहूर्त में सोना खरीदने से मां लक्ष्मी होंगी प्रसन्न
जानें कब है बैसाखी
दिनांक 14 अप्रैल दिन शुक्रवार को सुबह 08 बजकर 30 मिनट से बैसाखी की पूजा शुरु हो जाएगी.
बैसाखी का महत्व क्या है?
बैसाखी का पर्व काफी महात्वपूर्ण है. यह सिखों के लिए पवित्र दिन है. वहीं हिंदुओं के लिए ये पर्व कई मायनों में खास है. इस माह में भगवान बद्रीनाथ की यात्रा की शुरुआत हो जाती है. इस दिन स्नान और दान करने का भी खास महत्व होता है. वहीं, बता दें, सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने से इस दिन को मेष संक्रांति भी कहा जाता है. इस दिन से सौरनववर्ष की शुरुआत हो जाती है. पूरे देशभर में बैसाखी किसानों के लिए सुख-समृद्धि लेकर आया है. इस पर्व को अलग-अलग राज्यों में विभिन्न नामों से जाना जाता है.
कैसे मनाई जाती है बैसाखी
1. इस दिन सुबह स्नान करने के बाद गुरूद्वारे में जाकर प्रार्थना करते हैं.
2. बैसाखी के दिन गुरुद्वारे में गुरुग्रंथ साहिब जी के स्थान को जल और दूध से पवित्र किया जाता है.
3. उसके बाद पवित्र किताब को ताज के साथ उस जगह पर रखा जाता है.
4. इस दिन पवित्र किताब को पढ़ा जाता है और सभी ध्यानपूर्वक होकर गुरु की वाणी सुनते हैं.
5. इस दिन श्रद्धालुओं के लिए अमृत तैयार किया जाता है और अमृत को पांच पर ग्रहण किया जाता है.
6. अपराह्न समय में अरदास के बाद गुरु को प्रसाद का भोग लगाकर सभी अनुयायियों को बांटा जाता है.
7. फिर अंत में लंगर का सभी सेवन करते हैं.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Weekly Horoscope 29th April to 5th May 2024: सभी 12 राशियों के लिए नया सप्ताह कैसा रहेगा? पढ़ें साप्ताहिक राशिफल
-
Varuthini Ekadashi 2024: शादी में आ रही है बाधा, तो वरुथिनी एकादशी के दिन जरूर दान करें ये चीज
-
Puja Time in Sanatan Dharma: सनातन धर्म के अनुसार ये है पूजा का सही समय, 99% लोग करते हैं गलत
-
Weekly Horoscope: इन राशियों के लिए शुभ नहीं है ये सप्ताह, एक साथ आ सकती हैं कई मुसीबतें